छत्तीसगढ़ जनसंपर्क विभाग में 15-20 वर्षों से जमे अधिकारियों पर आम आदमी पार्टी का हमला, तुरंत ट्रांसफर की मांग
AAP ने छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग में 15-20 वर्षों से जमे अधिकारियों पर सवाल उठाए, तुरंत ट्रांसफर और घेराव की चेतावनी दी।

UNITED NEWS OF ASIA. हसीब अख्तर, रायपुर। आम आदमी पार्टी (AAP) ने छत्तीसगढ़ के जनसंपर्क विभाग में 15-20 वर्षों से जमे अधिकारियों के ट्रांसफर को लेकर विवाद खड़ा कर दिया है। प्रदेश अध्यक्ष गोपाल साहू ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए सवाल उठाया कि क्या विभाग में 3-5 साल का ट्रांसफर नियम लागू नहीं होता? उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले दो दशकों में कई सरकारें और मंत्री बदले, लेकिन कुछ अधिकारी अभी भी अपने पद पर स्थायी रूप से बने हुए हैं।
सूरज उपाध्याय, प्रदेश महासचिव (मीडिया, सोशल मीडिया, मुख्य प्रवक्ता) ने कहा कि कुछ अधिकारियों ने विभाग में ऐसा नेटवर्क तैयार कर लिया है जो किसी भी राजनीतिक परिस्थिति में उन्हें सुरक्षित रखता है। उन्होंने कहा, “फाइलों से लेकर मीडिया प्रबंधन तक इनका नेटवर्क फैला हुआ है।” उपाध्याय ने तंज कसते हुए कहा कि शायद मुख्यमंत्री भी जानते हैं कि अगर इन अधिकारियों का ट्रांसफर हुआ तो ‘कमाई का जरिया प्रभावित हो जाएगा’।
प्रदेश संगठन महासचिव उत्तम जायसवाल ने विभाग के बजट का जिक्र करते हुए कहा कि जनसंपर्क विभाग हर साल प्रचार-प्रसार पर भारी खर्च करता है। वर्ष 2024-25 में विभाग ने 550 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि साय सरकार के पहले 14 महीनों में ही 332 करोड़ रुपये का खर्च विधानसभा में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि ऐसे बड़े बजट में अतिरिक्त कमाई की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
देवलाल नरेटी, प्रदेश संगठन महासचिव ने चेतावनी दी कि अगर 15 दिनों के भीतर ट्रांसफर नहीं हुआ, तो आम आदमी पार्टी जनसंपर्क विभाग का घेराव करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पार्टी की मांग केवल नियमों के अनुसार ट्रांसफर सुनिश्चित करने की है, ताकि विभाग में सुशासन और पारदर्शिता कायम रहे।
गोपाल साहू ने कहा, “जनसंपर्क विभाग मुख्यमंत्री के अधीन सीधे काम करता है। अगर यहां लंबे समय से अधिकारी स्थायी रूप से बने हुए हैं तो यह सुशासन के सिद्धांतों के खिलाफ है। तुरंत ट्रांसफर होना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी जनता के नाम पर खर्च होने वाले बजट और मीडिया प्रबंधन की पारदर्शिता सुनिश्चित करना चाहती है।
AAP ने सरकार से कड़े कदम उठाने और नियमों के अनुसार ट्रांसफर सुनिश्चित करने की मांग करते हुए कहा कि यह कदम विभाग में भ्रष्टाचार, पक्षपात और अनुचित नेटवर्किंग को रोकने में मदद करेगा। पार्टी ने चेतावनी दी कि यदि यह मांग पूरी नहीं हुई तो जनसंपर्क विभाग के कार्यालयों में शांतिपूर्ण आंदोलन और घेराव किया जाएगा।
इस विवाद ने राज्य में प्रशासनिक पारदर्शिता और लंबे समय से जमे अधिकारियों के ट्रांसफर के मुद्दे को फिर से केंद्र में ला दिया है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार इस मांग पर कितनी शीघ्र कार्रवाई करती है और जनसंपर्क विभाग में बदलाव कब तक संभव हो पाता है।