खैरागढ़ में महंगाई की मार से फीकी पड़ी दीपावली की रौनक — पुष्य नक्षत्र पर भी नहीं दिखी खरीदी की चहल-पहल
दीपावली से पहले खैरागढ़ का बाजार सुना नजर आया। पुष्य नक्षत्र पर भी खरीदी नहीं बढ़ी। महंगाई, खराब फसल और आर्थिक तंगी से व्यापारियों की बिक्री 40 प्रतिशत घटी।

UNITED NEWS OF ASIA. मनोहर सेन, खैरागढ़ | दीपावली से पहले जहां आमतौर पर बाजारों में रौनक देखने को मिलती है, वहीं इस बार हालात एकदम उलट नजर आ रहे हैं। पुष्य नक्षत्र जैसे शुभ दिन पर भी खैरागढ़ का मुख्य बाजार सुना दिखाई दिया। बढ़ती महंगाई, खराब फसल और किसानों की आर्थिक तंगी ने त्योहार की चमक को फीका कर दिया है।
व्यापारियों के अनुसार, हर साल दीपावली से एक सप्ताह पहले ही बाजारों में खरीदी की हलचल शुरू हो जाती थी, लेकिन इस बार ग्राहक नदारद हैं। पुष्य नक्षत्र पर जहां पहले दुकानों में भीड़ उमड़ती थी, वहीं इस बार दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते दिखे।
सोना-चांदी की कीमतों में लगातार वृद्धि ने लोगों की जेब पर सीधा असर डाला है। खैरागढ़ के सराफा बाजार में सोना 75 हजार रुपये प्रति तोला और चांदी 95 हजार रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। ऐसे में लोग निवेश या खरीदारी करने से बच रहे हैं।
कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक और मिठाई व्यवसायियों का कहना है कि इस साल बिक्री में 40 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई है। कपड़ा दुकानदारों के अनुसार, पिछले साल जहां दीपावली से पहले लगातार ग्राहकों की भीड़ रहती थी, वहीं इस बार केवल पूछताछ करने वाले लोग आ रहे हैं, खरीदारी बहुत कम हो रही है।
खराब मौसम के चलते फसल की बर्बादी और कम पैदावार से किसानों की आय पर असर पड़ा है। यही वजह है कि ग्रामीण इलाकों से आने वाली खरीदी में भी भारी कमी आई है। ग्रामीण ग्राहक पहले शहर के बाजारों में बड़ी मात्रा में खरीदारी करते थे, लेकिन इस बार ज्यादातर लोग जरूरत भर का ही सामान ले रहे हैं।
व्यापारियों का कहना है कि सरकार को किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए राहत भरे कदम उठाने चाहिए, ताकि त्योहारी सीजन में बाजार में फिर से रौनक लौट सके।
दीपावली के करीब आने के बावजूद खैरागढ़ का बाजार अब तक मंदा है। व्यापारी उम्मीद कर रहे हैं कि अंतिम दिनों में स्थिति कुछ सुधरे, वरना इस बार त्योहार की चमक सचमुच फीकी रह जाएगी।