बसना मंडल आरएसएस ने विजयादशमी पर मनाया भव्य उत्सव, 1015 स्वयंसेवकों का पथ संचलन
आरएसएस बसना मंडल ने विजयादशमी पर भव्य पथ संचलन आयोजित किया। 1015 स्वयंसेवकों ने भाग लिया, रामदत्त चक्रधर ने राष्ट्रनिर्माण पर भाषण दिया।

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, बसना। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के बसना मंडल ने विजयादशमी के अवसर पर भव्य पथ संचलन और उत्सव का आयोजन किया। नई मंडी बसना में आयोजित इस कार्यक्रम में 1015 से अधिक स्वयंसेवक शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता गाड़ा समाज के अध्यक्ष चतुर्भुज आर्य ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में माननीय राष्ट्रीय सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर उपस्थित रहे।
समाज में अस्पृश्यता दूर करने का आह्वान
अध्यक्ष श्री चतुर्भुज आर्य ने अपने उद्बोधन में भारत के प्राचीन इतिहास और समाज में व्याप्त जातिवाद की समस्या पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे समाज में जाकर अस्पृश्यता की भावना को दूर करें। इसके साथ ही उन्होंने चार पुरुषार्थ – धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – पर भी जोर देते हुए वैश्विक षड्यंत्रों से आगाह किया।
संघ की 100 साल की यात्रा और राष्ट्रनिर्माण के लक्ष्य
मुख्य वक्ता रामदत्त चक्रधर जी ने संघ की 100 साल की यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि संघ का प्रमुख उद्देश्य हिंदू समाज को संगठित करना और सांस्कृतिक विरासत को सहेजना है। उन्होंने युवाओं को सेवा, संस्कार और चरित्र निर्माण की दिशा में प्रेरित किया।
'राष्ट्र ही सर्वोपरि' का मंत्र
चक्रधर जी ने कहा कि संघ के माध्यम से देशभर में लगभग डेढ़ लाख सेवा कार्य चल रहे हैं। 'राष्ट्र ही सर्वोपरि है, संगठन में शक्ति है' के मंत्र को दोहराते हुए उन्होंने स्वयंसेवकों को शाखाओं को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने 1947 के विभाजन और 1962, 1965, 1971 के युद्धों में संघ के योगदान का भी उल्लेख किया।
'पंच परिवर्तन' से भारत बनेगा विश्वगुरु
उन्होंने पंच परिवर्तनों – कुटुंब प्रबोधन, समरसता, पर्यावरण, स्व जागरण और नागरिक कर्तव्यों – पर काम करने का आह्वान किया। रामदत्त चक्रधर जी ने कहा कि भारत को पुनः विश्वगुरु बनाने के लिए राष्ट्रभक्ति के ज्वार को राष्ट्रशक्ति में बदलना आवश्यक है।
इस भव्य कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने विभिन्न झांकियों और पथ संचलन में भाग लेकर हिंदू समाज की एकजुटता और संगठन शक्ति का संदेश दिया।