सरकार की उपेक्षा से नाराज अनियमित कर्मचारी 28 दिसंबर को करेंगे जंगी प्रदर्शन

छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन के आह्वान पर 28 दिसंबर को तुता नवा रायपुर में जंगी प्रदर्शन किया जाएगा। नियमितीकरण, न्यूनतम वेतन, बहाली और आउटसोर्सिंग व्यवस्था समाप्त करने जैसी मांगों को लेकर प्रदेशभर के 32 संगठनों के हजारों अनियमित कर्मचारी आंदोलन में शामिल होंगे।

Dec 22, 2025 - 11:28
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सरकार की उपेक्षा से नाराज अनियमित कर्मचारी 28 दिसंबर को करेंगे जंगी प्रदर्शन

 UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन की उपेक्षा से आक्रोशित अनियमित कर्मचारी अब निर्णायक आंदोलन की राह पर हैं। छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले प्रदेश के शासकीय कार्यालयों में कार्यरत अनियमित कर्मचारी अपनी विभिन्न लंबित मांगों को लेकर 28 दिसंबर को तुता, नवा रायपुर में जंगी प्रदर्शन करेंगे। इस प्रदर्शन में प्रदेशभर के 32 संगठनों से जुड़े हजारों अनियमित कर्मचारियों के शामिल होने की संभावना है।

फेडरेशन का कहना है कि अनियमित कर्मचारी पिछले 5 वर्षों से लेकर 25–30 वर्षों तक शासन की जनहितकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें आज भी “अनियमित” जैसे शब्दों से तिरस्कृत किया जा रहा है। कर्मचारियों का आरोप है कि वर्तमान में उनकी स्थिति आर्थिक असुरक्षा, पारिवारिक जिम्मेदारियों और प्रशासनिक दबावों के चलते मध्यकालीन बंधुआ मजदूरों से भी बदतर हो गई है।

अनियमित कर्मचारियों का कहना है कि चुनाव पूर्व भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने उनके मंच पर आकर समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था। साथ ही मोदी की गारंटी 2023 के “वचनबद्ध सुशासन” पत्र में भी अनियमित कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान हेतु कमेटी गठित कर समीक्षा प्रक्रिया प्रारंभ करने का उल्लेख किया गया था। लेकिन कर्मचारियों का आरोप है कि गठित कमेटी में न तो अनियमित कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व है और न ही उनके संगठनों को शामिल किया गया, जिससे कर्मचारियों में गहरा असंतोष है।

फेडरेशन ने बताया कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के वरिष्ठ सदस्यों से लगातार संपर्क कर समस्याएं रखी गईं, लेकिन भाजपा सरकार के 17 माह पूर्ण होने के बावजूद अनियमित कर्मचारियों के मुद्दों पर कोई ठोस पहल नहीं हुई है। स्थिति यह है कि कई विभागों में कर्मचारियों को महीनों से वेतन नहीं मिला है, जबकि अनेक स्थानों पर वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों की छंटनी भी की जा रही है।

कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगाया कि न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 एवं संविदा नियम 2012 के प्रावधानों के बावजूद न्यूनतम वेतन का पुनरीक्षण वर्ष 2017 के बाद नहीं हुआ है और संविदा वेतन में अगस्त 2023 के बाद कोई वृद्धि नहीं की गई है।

प्रमुख मांगों में नियमितीकरण/स्थायीकरण, निकाले गए कर्मचारियों की बहाली, न्यून मानदेय कर्मचारियों को न्यूनतम वेतन, अंशकालीन कर्मचारियों को पूर्णकालीन करने तथा आउटसोर्सिंग/ठेका व्यवस्था समाप्त कर विभागीय समायोजन शामिल है। फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि यदि मांगों पर शीघ्र निर्णय नहीं लिया गया तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।