'बंगाली अस्मिता' पर ममता की रणनीति का बीजेपी ने बनाया जवाबी प्लान, प्रवासी बंगालियों के सहारे पलटवार की तैयारी
बंगाल में 'बंगाली अस्मिता' के मुद्दे पर ममता बनर्जी के राजनीतिक हमलों का जवाब भाजपा अब उसी रणनीति से देने जा रही है। तृणमूल कांग्रेस द्वारा भाजपा पर बंगला भाषा के अपमान और प्रवासी बंगालियों के उत्पीड़न के आरोपों के बीच भाजपा ने प्रवासी बंगालियों को ही अपने प्रचार अभियान का केंद्र बना लिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता देशभर में फैले बांग्लाभाषी समुदाय और पूजा समितियों से मिलकर तृणमूल के आरोपों का जवाब दे रहे हैं। भाजपा इसे 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम के तहत सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव की पहल बता रही है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीति ममता की 'बंगाली अस्मिता' वाली राजनीति को कमजोर करने का प्रयास है।

UNITED NEWS OF ASIA. कोलकाता। पश्चिम बंगाल में ‘बंगाली अस्मिता’ के मुद्दे पर ममता बनर्जी जिस तरह भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही हैं, अब भाजपा ने उसी रणनीति को हथियार बनाकर पलटवार की तैयारी कर ली है। ममता और तृणमूल कांग्रेस लंबे समय से भाजपा पर बंगला भाषा और संस्कृति के अपमान का आरोप लगा रहे हैं। साथ ही, वे अन्य राज्यों में प्रवासी बंगालियों के उत्पीड़न के मुद्दे को भी उछाल रहे हैं।
लेकिन अब भाजपा ने प्रवासी बंगालियों को ही अपना सहयोगी बनाते हुए इस नैरेटिव को पलटने की रणनीति बना ली है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले बांग्लाभाषी समुदाय और उनकी पूजा समितियों से सीधा संपर्क अभियान शुरू कर दिया है।
भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने हाल ही में हरियाणा और चंडीगढ़ का दौरा कर प्रवासी बंगालियों से मुलाकात की। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे बंगाल को ‘बांग्लादेश बनने’ से रोकने के लिए अपने मताधिकार का सही इस्तेमाल करें। इसी तरह प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य गुजरात का दौरा करेंगे, जबकि केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी पहुंच रहे हैं।
भाजपा का यह अभियान दिल्ली, देहरादून, हरिद्वार, मुंबई, पुणे, रांची, जयपुर, चेन्नई, कोच्चि जैसे कई शहरों में चलाया जा रहा है। नेताओं की कोशिश है कि प्रवासी बंगाली अपने परिचितों और रिश्तेदारों को बंगाल की वास्तविक स्थिति से अवगत कराएं और तृणमूल के ‘भ्रमजाल’ को तोड़ें।
भाजपा नेता केया घोष ने दिल्ली में पूजा समितियों से मुलाकात के बाद कहा, “दिल्ली में कई बंगाली खुद को बंगाल के बाहर भी बंगाल का हिस्सा मानते हैं। वे बंगाल की राजनीति में अहम भूमिका निभा सकते हैं।”
प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने बताया कि यह पहल केंद्र सरकार के ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम का हिस्सा है। दुर्गा पूजा के समय जनसंपर्क बढ़ाने का यह सबसे सही अवसर है क्योंकि उस दौरान बंगाली समाज का सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव होता है।
हालांकि भाजपा इस कार्यक्रम को आधिकारिक तौर पर चुनाव से नहीं जोड़ रही है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह कदम सीधे तौर पर ममता बनर्जी की 'बंगाली अस्मिता' राजनीति को चुनौती देने और आगामी विधानसभा चुनावों में तृणमूल की पकड़ कमजोर करने का प्रयास है।
ममता की सबसे बड़ी ताकत रही 'बंगाली अस्मिता' अब भाजपा के लिए भी राजनीतिक रणनीति का आधार बनती दिख रही है।