Bhanupratappur News : महर्षि वाल्मीकि महाविद्यालय में जनजातीय गौरव पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न
भानुप्रतापपुर के शासकीय महर्षि वाल्मीकि महाविद्यालय में जनजातीय समाज के ऐतिहासिक, सामाजिक और आध्यात्मिक योगदान पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई, जिसमें वक्ताओं ने जनजातीय विरासत के संरक्षण पर जोर दिया।
UNITED NEWS OF ASIA. श्रीदाम ढाली. भानुप्रतापपुर। शासकीय महर्षि वाल्मीकि महाविद्यालय, भानुप्रतापपुर में सोमवार को “जनजातीय समाज के ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का भव्य एवं सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला में जनजातीय समुदाय की गौरवशाली विरासत, स्वतंत्रता संग्राम में उनके अद्वितीय योगदान और पारंपरिक जीवन मूल्यों पर विस्तार से चर्चा की गई। वक्ताओं ने जनजातीय संस्कृति के संरक्षण और राष्ट्रीय चेतना में उसके महत्व को रेखांकित किया।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष किरण नरेटी रहीं, जबकि प्रमुख वक्ता के रूप में आदिवासी स्थानीय स्वास्थ्य परंपरा एवं औषधि पादप बोर्ड के अध्यक्ष विकास मरकाम उपस्थित थे। जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष रत्नेश सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. रश्मि सिंह ने की। इस अवसर पर जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र टेकाम, भाजपा नेता राजीव श्रीवास, नरोत्तम सिंह चौहान, गिरधारी नरेटी एवं छत्रप्रताप दुग्गा भी उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता विकास मरकाम ने जनजातीय गौरव दिवस की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जनजातीय समाज की परंपराओं में प्रकृति, भूमि और जीव-जंतुओं के प्रति सम्मान सर्वोपरि है। उन्होंने बताया कि अंग्रेजों के विरुद्ध सबसे पहले विद्रोह का शंखनाद तिलका मांझी ने किया और इसके बाद अनेक जनजातीय वीरों ने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व समर्पित किया। मरकाम ने गेंद सिंह, गुडर धुर सहित अन्य महान जननायकों की वीरगाथाओं का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों को अपनी जड़ों को पहचानने और इतिहास के सही तथ्यों को जानने की प्रेरणा दी।
मुख्य अतिथि किरण नरेटी ने कहा कि जनजातीय समाज का योगदान अमूल्य और अविस्मरणीय है। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका से जुड़ी केंद्र सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि इनका उद्देश्य अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचाना है। उन्होंने बस्तर पांडुम को सांस्कृतिक क्रांति बताते हुए युवाओं से समाज निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।
विशिष्ट अतिथि रत्नेश सिंह ने जनजातीय समाज की सामुदायिक जीवनशैली, साहस और संस्कृति को भारतीय समाज की अमूल्य धरोहर बताया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. रश्मि सिंह ने कहा कि जनजातीय इतिहास का संरक्षण और प्रसार शिक्षण संस्थानों की अहम जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापक एवं संयोजक कमल किशोर प्रधान, डॉ. नसीम अहमद मंसूरी, एनईपी संयोजक रितेश कुमार नाग, सह-संयोजक सुषमा चालकी, क्रीड़ा अधिकारी चेतन कुमार श्रीवास सहित महाविद्यालय परिवार एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग के सहायक प्राध्यापक श्रीदाम ढाली ने किया।