तिरगा सिलोदा में धूमधाम से मनाया गया मातर महोत्सव, दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर हुए शामिल
दुर्ग जिले के तिरगा सिलोदा में यादव समाज द्वारा पारंपरिक मातर महोत्सव का आयोजन धूमधाम से किया गया। कार्यक्रम में दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की और उत्कृष्ट छात्रों एवं समाजसेवियों को सम्मानित किया।
UNITED NEWS OF ASIA. रोहिताश सिंह भुवाल, दुर्ग । दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम तिरगा सिलोदा में यादव समाज द्वारा पारंपरिक मातर महोत्सव का आयोजन हर्षोल्लास और भक्ति भाव से किया गया। यह आयोजन गाँव की सांस्कृतिक परंपराओं, लोक रीति-रिवाजों और गौपूजा की अनूठी परंपरा को प्रदर्शित करता है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दुर्ग ग्रामीण विधायक श्री ललित चंद्राकर शामिल हुए। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण की पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की कामना की। विधायक ने कहा कि “मातर महोत्सव हमें भगवान श्री कृष्ण की भक्ति और उनकी शिक्षाओं का पालन करने का संदेश देता है। हमें जीवन में उनके आदर्शों को अपनाकर समाज में प्रेम, सद्भाव और सेवा की भावना फैलानी चाहिए।”
महोत्सव के दौरान यादव समाज के लोगों ने पारंपरिक विधियों से पूजा-अर्चना की। घरों से पूजन सामग्री लेकर दयहान स्थल पर सामूहिक रूप से गौ माता और सांहढा देव की पूजा की गई। इसके बाद अखाड़ा कला के माध्यम से युवाओं ने अपने शौर्य का प्रदर्शन किया और गौधन को सोहई बाँधी गई। अंत में प्रसादी स्वरूप उपस्थित जनों को खीर और दूध का वितरण किया गया।
मंचीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के हाथों 8वीं, 10वीं और 12वीं कक्षा में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाले नागरिकों को सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर जनपद अध्यक्ष कुलेश्वरी देवांगन, जनपद सदस्य नंदू साहू, जिला मंत्री गिरीश साहू, पूर्व केंद्रीय बैंक अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन, जनपद सदस्य दामिनी साहू, मंडल अध्यक्ष हेमंत सिन्हा, सरपंच धसिया राम सहित समाज के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
मातर महोत्सव ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि पारंपरिक लोक संस्कृतियाँ आज भी ग्रामीण छत्तीसगढ़ की आत्मा में जीवित हैं। ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को सशक्त करते हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सामुदायिक सौहार्द को भी मजबूत बनाते हैं।
