माता-पिता का आचरण स्वीकार नहीं होने पर बच्चे करते हैं मनमानी – जीवन विद्या शिविर में मिला परिवारिक संस्कारों का संदेश
रायपुर में हुए जीवन विद्या परिचय शिविर में प्रबोधक सोमदेव त्यागी ने कहा — बच्चे माता-पिता के आचरण से सीखते हैं, परिवार को श्रेष्ठ जीवन मूल्यों की फैक्टरी बनाना होगा।

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर। अग्रसेन धाम में आयोजित जीवन विद्या परिचय शिविर का समापन परिवारिक जीवन और पति-पत्नी संबंधों पर हुई सार्थक चर्चा के साथ हुआ। मध्यस्थ दर्शन पर आधारित इस सात दिवसीय शिविर में प्रबोधक सोमदेव त्यागी ने कहा कि “बच्चे माता-पिता के आचरण से ही सीखते हैं। जब वे उनके व्यवहार में विरोधाभास, झगड़े या शिकायतें देखते हैं, तो स्वयं भी मनमानी करने लगते हैं।”
उन्होंने कहा कि एक बच्चे का मानसिक विकास पांचवीं कक्षा तक हो जाता है, और इसी उम्र में वह अपने परिवार के लोगों का अनुकरण करता है। अगर माता-पिता अपने जीवन में अनुशासन, सदाचार और प्रेमभाव अपनाएं, तो वही मूल्य बच्चे के भीतर स्थायी रूप से अंकित होते हैं। “परिवार एक ऐसी फैक्टरी बन सकता है जो एक श्रेष्ठ इंसान या भगवान बना सकती है,” उन्होंने कहा।
श्री त्यागी ने बताया कि जैसे किसान का बेटा खेती सीखता है, व्यापारी का बेटा व्यापार, वैसे ही बच्चे अपने परिवार के वातावरण से जीवन की दिशा पाते हैं। यदि घर में शिक्षा, नैतिकता और संवाद का माहौल हो तो बच्चा हर क्षेत्र में ऊंचाई प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि विवाह और परिवार मानव जीवन के दो सबसे बड़े उत्सव हैं, जिन्हें समझदारी और प्रेम से निभाना चाहिए।
इस शिविर का आयोजन अभ्युदय संस्थान अछोटी और श्री अग्रवाल सभा रायपुर के सहयोग से किया गया। आयोजन प्रमुख डॉ. संकेत ठाकुर ने बताया कि श्री त्यागी अब तक 16 राज्यों में 400 से अधिक शिविरों में जीवन विद्या का संदेश दे चुके हैं। उन्होंने घोषणा की कि अगला शिविर 18 से 25 जनवरी 2026 के बीच आयोजित किया जाएगा।
श्री मंजीत सिंह ने कहा कि यह शिविर ए नागराज के “मध्यस्थ दर्शन” और “चेतना विकास मूल्य शिक्षा” पर आधारित है, जो जीवन को समझने और जीने का नया विकल्प प्रस्तुत करता है। अनिता शाह, अभिभावक विद्यालय रायपुर की शिक्षिका ने कहा कि इस शिविर से कई परिवारों को जीवन जीने की नई दिशा मिली है।
कार्यक्रम के संचालन में राजा गड़ोदिया, आकाश मिश्रा, चंद्रशेखर राठौर, सूर्यकांत अग्रवाल, राकेश कंवर, साकेत शाह, हर्ष जैन, वेदांत अग्रवाल और सीए नवल देवांगन का विशेष योगदान रहा।