जगरगुंडा में एंबुलेंस व्यवस्था पर सवाल: वाहन न मिलने से युवक की मौत, शव को खाट में छह किलोमीटर ले जाने को मजबूर परिजन
जगरगुंडा के चिमलीपेंटा गांव में वाहन और एंबुलेंस की कमी के कारण समय पर अस्पताल न पहुंच पाने से 40 वर्षीय युवक की मौत हो गई। मौत के बाद भी एंबुलेंस नहीं मिली, मजबूरन परिजनों को शव खाट में छह किलोमीटर तक ले जाना पड़ा, जिससे स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े हो गए।
UNITED NEWS OF ASIA. रीजेंट गिरी, बीजापुर | गरगुंडा क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली एक बार फिर सामने आई है, जहां समय पर वाहन और एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण एक युवक की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाओं की वास्तविक स्थिति पर भी गहरे सवाल खड़े करती है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार जगरगुंडा के ग्राम चिमलीपेंटा निवासी बारसे रामेश्वर, उम्र लगभग 40 वर्ष, पिछले कुछ दिनों से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा था। परिजनों ने बताया कि उसे हाथ-पांव में सूजन और पेट दर्द की शिकायत थी, जिसके लिए वह पहले भी जगरगुंडा अस्पताल में उपचार करा चुका था। मंगलवार को अचानक उसकी तबियत अधिक बिगड़ गई, जिसके बाद परिजन उसे तत्काल जगरगुंडा अस्पताल ले जाना चाहते थे।
हालांकि, गांव में किसी भी प्रकार का निजी या सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं हो पाया। समय पर अस्पताल न पहुंच पाने के कारण रास्ते में ही युवक की मौत हो गई। युवक की मौत के बाद परिजन और ग्रामीण सदमे में आ गए, लेकिन परेशानी यहीं खत्म नहीं हुई।
परिजनों का आरोप है कि मौत के बाद भी शव को ले जाने के लिए अस्पताल या प्रशासन की ओर से एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई। परिजनों ने एंबुलेंस कर्मियों से शव को गांव तक पहुंचाने की मांग की, लेकिन एंबुलेंस ड्राइवर ने छुट्टी का हवाला देते हुए जाने से इनकार कर दिया। मजबूर होकर परिजनों और ग्रामीणों को शव को खाट पर रखकर करीब छह किलोमीटर तक पैदल गांव ले जाना पड़ा।
इस दौरान सड़क पर शव को खाट में ले जाते ग्रामीणों का दृश्य मानवता को शर्मसार करने वाला था। ग्रामीणों का कहना है कि जगरगुंडा जैसे दूरस्थ और संवेदनशील इलाके में यदि बुनियादी स्वास्थ्य और आपातकालीन परिवहन सुविधा भी समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रही है, तो यह प्रशासन की गंभीर विफलता है।
घटना के बाद क्षेत्र में आक्रोश का माहौल है। ग्रामीणों ने मांग की है कि दोषी अधिकारियों और एंबुलेंस व्यवस्था से जुड़े कर्मचारियों पर कार्रवाई की जाए तथा क्षेत्र में स्थायी एंबुलेंस और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करना अब भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।