बारनवापारा अभयारण्य बना ‘जंगल की क्लासरूम’: झांसी विश्वविद्यालय के बीएससी फॉरेस्ट्री छात्रों ने सीखा वन्यजीव संरक्षण का वास्तविक सबक

बलौदाबाजार का बारनवापारा अभयारण्य इन दिनों रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के बीएससी फॉरेस्ट्री के छात्रों के लिए ‘जंगल की क्लासरूम’ बन गया है। दो सप्ताह की इंटर्नशिप के तहत 31 विद्यार्थियों को वन्यजीव संरक्षण, आवास प्रबंधन, मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान और एंटी-स्नेर वॉक जैसी गतिविधियों का व्यावहारिक अनुभव कराया जा रहा है। वनमंडलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने छात्रों को आधुनिक संरक्षण तकनीकों, सामुदायिक सहभागिता और इको-टूरिज्म की संभावनाओं से अवगत कराया। छात्रों ने कहा कि इस इंटर्नशिप ने उन्हें किताबों से परे वास्तविक जंगल के अनुभव और संवेदनशीलता सिखाई है। यह कार्यक्रम भविष्य के वन अधिकारियों को पर्यावरण संरक्षण को केवल पेशा नहीं, बल्कि जीवन का मिशन मानने की प्रेरणा दे रहा है।

Sep 27, 2025 - 17:07
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बारनवापारा अभयारण्य बना ‘जंगल की क्लासरूम’: झांसी विश्वविद्यालय के बीएससी फॉरेस्ट्री छात्रों ने सीखा वन्यजीव संरक्षण का वास्तविक सबक

UNITED NEWS OF ASIA. चंद्रकांत वर्मा, बलौदाबाजार। बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य इन दिनों सिर्फ हिरणों की छलांग और मोरों की पुकार से ही नहीं, बल्कि छात्रों की जिज्ञासा और सीखने की उमंग से भी गूंज रहा है। रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झांसी के बीएससी फॉरेस्ट्री के 31 विद्यार्थी यहां दो सप्ताह की विशेष इंटर्नशिप के लिए पहुंचे हैं, जहां वे वन्यजीव प्रबंधन और संरक्षण के वास्तविक अनुभव से गुजर रहे हैं।

‘जंगल की क्लासरूम’ में सीख:
10 सितंबर से शुरू हुए इस कार्यक्रम में 17 छात्र और 14 छात्राएं शामिल हैं। इन्हें दो समूहों में विभाजित कर बारनवापारा अभयारण्य और देवपुर वन परिक्षेत्र में प्रशिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण में ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग, आवास प्रबंधन तकनीक, पौधों की पहचान, गश्त, एंटी-स्नेर वॉक, मानव-वन्यजीव संघर्ष समाधान, मिट्टी और जल संरक्षण, फायर प्रोटेक्शन, डिजिटल एप्लिकेशन उपयोग और सामुदायिक संरक्षण जैसी गतिविधियां शामिल हैं।

वनमंडलाधिकारी गणवीर धम्मशील का मार्गदर्शन:
वनमंडलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने छात्रों से संवाद कर संरक्षण से जुड़े नवाचारों और कार्यक्रमों – जल-जंगल यात्रा, युवान और सामुदायिक सहभागिता आधारित संरक्षण कार्यों – की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “बारनवापारा केवल वन्यजीवों का घर नहीं, बल्कि संरक्षण की सीख देने वाली जीवंत प्रयोगशाला है। यहां के अनुभव छात्रों को भविष्य में समाज और प्रकृति के बीच संतुलन बनाने में मदद करेंगे।”

छात्रों के अनुभव:
इंटर्न आदर्श तिवारी ने कहा, “किताबों से मिली जानकारी और वास्तविक जंगल की परिस्थितियों में बहुत अंतर होता है। एंटी-स्नेर वॉक ने हमें समझाया कि फील्ड स्टाफ किस तरह जैव विविधता की रक्षा के लिए कठिन परिस्थितियों में काम करता है।”


वहीं इंटर्न आशुतोष ने कहा, “यह अनुभव हमें सिखाता है कि संरक्षण केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और संवेदनशीलता का कार्य है। अब यह स्पष्ट है कि वन अधिकारी होना समाज और पर्यावरण के प्रति एक बड़ा दायित्व है।”

प्रकृति और समाज के बीच सेतु:
बारनवापारा में इस तरह की इंटर्नशिप न केवल छात्रों के लिए शिक्षा का व्यावहारिक केंद्र बन रही है, बल्कि भविष्य के वन अधिकारियों को समाज, विज्ञान और प्रशासन को एक साथ जोड़ने का दृष्टिकोण भी प्रदान कर रही है।