रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने रसायन एवं उर्वरक समिति की पहली बैठक में रखे कृषि सशक्तिकरण के सुझाव

सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने संसदीय रसायन एवं उर्वरक समिति की पहली बैठक में किसानों को सशक्त करने, उत्पादन क्षमता बढ़ाने और पर्यावरण अनुकूल तकनीक अपनाने के ठोस सुझाव दिए।

Oct 17, 2025 - 12:46
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रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने रसायन एवं उर्वरक समिति की पहली बैठक में रखे कृषि सशक्तिकरण के सुझाव

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, नई दिल्ली/रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और रायपुर के सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने आज संसद भवन में आयोजित रसायन एवं उर्वरक संबंधी संसदीय स्थायी समिति (2025-26) की पहली बैठक में भाग लिया। इस बैठक में देश के उर्वरक उद्योग, किसानों को समय पर खाद उपलब्ध कराने और रसायन उद्योग की उत्पादकता एवं सुरक्षा को मजबूत बनाने जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई।

 

बैठक के दौरान श्री अग्रवाल ने कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने और किसानों को सशक्त करने के उद्देश्य से कई रचनात्मक सुझाव प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि भारत के कृषि विकास की रीढ़ उर्वरक उद्योग है, इसलिए देश में उर्वरक उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल तकनीक को अपनाना समय की आवश्यकता है।

सांसद अग्रवाल ने समिति से आग्रह किया कि देश में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के निवेश को बढ़ाने के लिए नीति सुधार किए जाएं। उन्होंने उर्वरक वितरण प्रणाली को डिजिटल और पारदर्शी बनाने का भी सुझाव दिया, ताकि किसानों को समय पर और उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध हो सके।

उन्होंने यह भी कहा कि रासायनिक उर्वरकों के साथ जैविक और हरित उर्वरकों के उपयोग को प्रोत्साहन देना चाहिए। इससे न केवल मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने “एक जिला, एक उर्वरक हब” की अवधारणा पेश करते हुए कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार और उत्पादन दोनों में वृद्धि होगी।

श्री अग्रवाल ने विश्वास जताया कि समिति की यह बैठक आने वाले समय में देश के रसायन और उर्वरक क्षेत्र के लिए ठोस नीतिगत दिशा तय करेगी। इससे भारत आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य की ओर और मजबूती से अग्रसर होगा।

उन्होंने कहा कि “किसानों की समृद्धि ही भारत की समृद्धि है। हमें ऐसी नीति बनानी होगी जिससे हर किसान को समय पर गुणवत्तापूर्ण उर्वरक मिले और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो।”

बैठक में समिति के अन्य सांसदों और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया तथा विभिन्न राज्यों के अनुभव साझा किए। सभी ने उर्वरक क्षेत्र को दीर्घकालिक रूप से मजबूत बनाने के लिए ठोस कदम उठाने पर सहमति जताई।