कवर्धा में दो विपत्तिग्रस्त परिवारों को कलेक्टर ने 08 लाख रूपए की आर्थिक सहायता मंजूर

कवर्धा कलेक्टर गोपाल वर्मा ने दो विपत्तिग्रस्त परिवारों को सर्पदंश से हुई मौत के मामले में चार-चार लाख रूपए की आर्थिक सहायता प्रदान की।

Oct 16, 2025 - 18:17
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कवर्धा में दो विपत्तिग्रस्त परिवारों को कलेक्टर ने 08 लाख रूपए की आर्थिक सहायता मंजूर

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। कलेक्टर गोपाल वर्मा ने जिले के दो विपत्तिग्रस्त परिवारों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की मंजूरी दी है। यह निर्णय राजस्व पुस्तक परिपत्र छह-चार के तहत लिया गया है। कुल 08 लाख रूपए की आर्थिक सहायता में प्रत्येक परिवार को चार-चार लाख रूपए की राशि प्रदान की जाएगी।

पहला मामला बोड़ला अनुविभाग अंतर्गत ग्राम लालपुरकला का है। यहां मोहित पटेल की सर्प काटने से दुखद मृत्यु हो गई। उनके निधन के पश्चात उनकी पत्नी रेखा पटेल को आर्थिक सहायता देने का निर्णय लिया गया। इससे विपत्तिग्रस्त परिवार को उनकी जीवन यापन की लागत और अन्य आवश्यक खर्चों में राहत मिलेगी।

दूसरा मामला ग्राम चिखली का है। तुशाल धुर्वे की सर्पदंश से मृत्यु होने पर उनके पिता श्री रोहित गोंड को आर्थिक सहायता राशि प्रदान की जाएगी। कलेक्टर ने कहा कि यह कदम प्रशासन की संवेदनशीलता और विपत्तिग्रस्त परिवारों के प्रति सरकार की जिम्मेदारी का परिचायक है।

कलेक्टर गोपाल वर्मा ने इस अवसर पर कहा कि प्रशासन का उद्देश्य केवल राहत राशि देना नहीं है, बल्कि ऐसी घटनाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और आवश्यक सहायता समय पर प्रदान करना भी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सभी विपत्तिग्रस्त परिवारों तक सहायता पहुँचाने में किसी भी प्रकार की देरी न हो और प्रक्रिया पारदर्शी एवं त्वरित हो।

राजस्व पुस्तक परिपत्र छह-चार के तहत आर्थिक सहायता प्रदान करने की प्रक्रिया के दौरान सभी आवश्यक दस्तावेज और प्रमाणों की जाँच की जाती है। प्रशासन यह सुनिश्चित करता है कि सहायता केवल वास्तविक लाभार्थियों तक पहुँचे और उन्हें वित्तीय राहत समय पर प्राप्त हो।

इस आर्थिक सहायता से दोनों परिवारों को न केवल तत्काल राहत मिलेगी, बल्कि उनके जीवन में स्थिरता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। प्रशासन ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी विपत्तियों के दौरान आवश्यक सहायता और सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिए नियमित निगरानी और समीक्षा जारी रहेगी।

इस पहल से कवर्धा जिले में प्रशासन की संवेदनशीलता और लोगों के प्रति उत्तरदायित्व का स्पष्ट संदेश मिलता है, जिससे ग्रामीण और अनाथ परिवारों में विश्वास और सहयोग की भावना बढ़ती है।