नगरी में 3 अक्टूबर को जलेगा 35 फीट ऊंचा रावण, रामलीला और आतिशबाजी के साथ मनाया जाएगा विजयादशमी महोत्सव

नगरी में 3 अक्टूबर को रावण भाठा मैदान में पारंपरिक और भव्य विजयादशमी महोत्सव का आयोजन होगा, जहां 35 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। रामलीला का मंचन, आकर्षक शोभायात्रा और आंध्र प्रदेश की आतिशबाजी इस आयोजन के प्रमुख आकर्षण होंगे। बस्तर राजवाड़ा की ऐतिहासिक परंपरा से जुड़ा यह आयोजन एकादशी को ही मनाया जाता है और हजारों श्रद्धालु इसमें शामिल होंगे।

Oct 3, 2025 - 11:34
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नगरी में 3 अक्टूबर को जलेगा 35 फीट ऊंचा रावण, रामलीला और आतिशबाजी के साथ मनाया जाएगा विजयादशमी महोत्सव

UNITED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन, नगरी। कौमी एकता और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक नगरी का ऐतिहासिक विजयादशमी महोत्सव इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया जाएगा। नव आनंद कला मंदिर नगरी और श्री राम नवयुवक परिषद के संयुक्त तत्वावधान में यह आयोजन 3 अक्टूबर, शुक्रवार को रावण भाठा मैदान में होगा।

आयोजन समिति के महासचिव नरेश छेदैहा ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस बार भी विजयादशमी एकादशी को मनाई जाएगी, जो बस्तर राजवाड़ा की परंपरा से जुड़ी है। मैदान में मेला जैसा माहौल रहेगा और हजारों श्रद्धालु इस उत्सव में शामिल होंगे।

इस वर्ष 35 फीट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। इससे पहले पुरानी बस्ती सेवा दल के कलाकारों द्वारा आकर्षक वेशभूषा और अनूठी शैली में रामलीला का मंचन किया जाएगा। राम दल और रावण दल के लिए अलग-अलग रथों की शोभायात्रा नगर भ्रमण कर शाम 5 बजे कार्यक्रम स्थल पहुंचेगी। रावण वध प्रसंग के बाद आंध्र प्रदेश की टीम द्वारा आतिशबाजी का भव्य प्रदर्शन किया जाएगा, जो कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण होगा।

आयोजन की तैयारियां अंतिम चरण में हैं और प्रशासन द्वारा सुरक्षा, साफ-सफाई और पेयजल की व्यापक व्यवस्था की गई है। आयोजन में नगर पंचायत, पुलिस प्रशासन और स्थानीय प्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका रही।

बस्तर राजवाड़ा से जुड़ी ऐतिहासिक परंपरा
नगरी बस्तर रियासत से जुड़ा नगर है, जहां दशहरा महोत्सव एकादशी को ही मनाया जाता है। गांधी चौक स्थित प्राचीन श्री दंतेश्वरी मंदिर में आज भी बस्तर महाराजा द्वारा स्थापित सिंहासन और दुर्लभ चित्र सुरक्षित हैं। बस्तर राजवाड़े के ऐतिहासिक दस्तावेजों में नगरी को “पांच गांव नगरी” के रूप में दर्ज किया गया है, जिसमें सांकरा, रानीगांव, आमगांव और बिरगुड़ी भी शामिल हैं।

नगरी का यह विजयादशमी महोत्सव केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि इतिहास, परंपरा और सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुका है, जो हर वर्ष हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता है।