कबाड़ी मुकेश कुमार साहू उर्फ़ बरबट्टी को चेक बाउंस मामले में 2 माह की जेल और ₹3.50 लाख का जुर्माना

कोरबा जिले के चर्चित कबाड़ी मुकेश कुमार साहू उर्फ़ बरबट्टी को माननीय सत्र न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में 2 माह के साधारण कारावास और ₹3.50 लाख प्रतिकर राशि जमा करने की सजा सुनाई है। आरोपी ने अपने भाई से ₹3 लाख उधार लेकर चेक जारी किया था, जो राशि अभाव में बाउंस हो गया। न्यायालय ने पहले ही उसे दोषी ठहराया था, जिसकी अपील सत्र न्यायालय ने खारिज कर दी। आरोपी को जेल भेज दिया गया है। मुकेश कुमार पूर्व में भी कोयला चोरी और चेक बाउंस मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है।

Sep 24, 2025 - 16:48
 0  16
कबाड़ी मुकेश कुमार साहू उर्फ़ बरबट्टी को चेक बाउंस मामले में 2 माह की जेल और ₹3.50 लाख का जुर्माना

UNITED NEWS OF ASIA. भूपेंद्र साहू, कोरबा। जिले के चर्चित कबाड़ी मुकेश कुमार साहू उर्फ़ बरबट्टी को माननीय सत्र न्यायालय ने चेक बाउंस मामले में दोषी पाते हुए 2 माह के साधारण कारावास और ₹3.50 लाख प्रतिकर राशि जमा करने की सजा सुनाई है।

मामला उस समय शुरू हुआ जब आरोपी मुकेश कुमार ने अपने भाई शैलेश कुमार साहू से व्यवसायिक कार्यों के लिए ₹3 लाख उधार लिए और सिक्योरिटी के रूप में एक चेक दिया। आरोपी द्वारा राशि लौटाने में आनाकानी करने पर आवेदक ने चेक को बैंक में प्रस्तुत किया, जो खाते में धनराशि की कमी के कारण बाउंस हो गया। इसके बाद आवेदक ने न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी न्यायालय कोरबा में परक्राम्य लिखित अधिनियम की धारा 138 के तहत मामला दर्ज कराया।

न्यायालय ने मुकेश कुमार साहू को दोषी ठहराते हुए 2 माह की जेल और ₹3.50 लाख की प्रतिकर राशि अदा करने का आदेश दिया था। आरोपी द्वारा दायर अपील को सत्र न्यायालय ने खारिज कर मूल सजा को बरकरार रखा। आदेशानुसार मुकेश कुमार साहू को जेल भेज दिया गया है।

गौरतलब है कि मुकेश कुमार आदतन अपराधी है और पूर्व में भी दो मामलों में सजा पा चुका है। वर्ष 2014 में गेवरा दीपका कॉलरी में ट्रक में फर्जी नंबर प्लेट लगाकर कोयला चोरी करते हुए पकड़ा गया था, जिसमें उसे 3 वर्ष की सजा मिली थी। वहीं जाहिद खान नामक व्यक्ति से ट्रक खरीदी के लिए ₹1,01,000 का चेक बाउंस होने पर भी उसे 3 माह का कारावास और ₹1.40 लाख प्रतिकर राशि जमा करने की सजा मिल चुकी है।

इस मामले में आरोपी की ओर से अधिवक्ता कमलेश साहू ने पैरवी की, जबकि आवेदक की ओर से अधिवक्ता बलराम तिवारी ने अदालत में पक्ष रखा। न्यायालय ने अधिवक्ता तिवारी के तथ्यात्मक तर्कों को स्वीकारते हुए आरोपी के सभी कपोल-कल्पित तर्कों को खारिज कर दिया।

यह फैसला चेक बाउंस और आर्थिक धोखाधड़ी मामलों पर न्यायालय के सख्त रुख को दर्शाता है और ऐसे अपराधियों के लिए चेतावनी है जो वित्तीय दायित्वों से बचने का प्रयास करते हैं।