जल संरक्षण से बदली बैगाबाहुल्य ग्राम इन्द्रिपानी की तस्वीर – मनरेगा के तालाब गहरीकरण कार्य ने पानी व आजीविका दोनों की खोली राह
मनरेगा से हुए तालाब गहरीकरण कार्य ने कवर्धा जिले के बैगा बाहुल्य ग्राम इन्द्रिपानी की तस्वीर बदल दी — अब ग्रामीणों को मिला जल संरक्षण, रोजगार और मछलीपालन से आजीविका का साधन।

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत किए गए तालाब गहरीकरण कार्य ने जिले के बैगा बाहुल्य वनांचल ग्राम इन्द्रिपानी (ग्राम पंचायत दुर्जनपुर) की तस्वीर ही बदल दी है। पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे इस गांव में अब वर्षा जल का संचय हो रहा है और ग्रामीणों को रोजगार एवं आजीविका के नए अवसर मिले हैं।
गांव में 65 परिवारों की आबादी रहती है, जो वर्षा पर निर्भर कृषि करते थे। जल संरक्षण की आवश्यकता को देखते हुए ग्रामीणों ने ग्रामसभा में तालाब गहरीकरण का प्रस्ताव पारित किया, जिसे मनरेगा के तहत स्वीकृति मिली। ग्रामीणों के सामूहिक प्रयासों और महात्मा गांधी नरेगा अमले के सहयोग से कार्य समय पर पूर्ण हुआ।
9 लाख 80 हजार रुपए की लागत से बने इस तालाब ने जल समस्या का स्थायी समाधान किया। निर्माण कार्य के दौरान ग्रामीणों को 5084 मानव दिवस का रोजगार मिला और 9 लाख 65 हजार 960 रुपए मजदूरी के रूप में भुगतान किया गया। अब इस तालाब से न केवल सिंचाई की सुविधा मिली है बल्कि ग्रामीणों की जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव आया है।
तालाब बनने के बाद महिला स्व सहायता समूह “बूढ़ी माई महिला समूह” ने मछली पालन शुरू किया। मत्स्य विभाग से उन्हें 28 किलो मछली बीज प्रदान किए गए, जिससे अब तक 23 हजार रुपए की आय अर्जित की जा चुकी है। मछली पालन से समूह की महिलाओं को नियमित आय का स्रोत मिला है और परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है।
ग्रामीण हितग्राहियों का कहना है कि तालाब बनने से अब रबी फसल भी ली जा सकती है और खेतों में पानी की कमी नहीं रहती। महिलाएं बताती हैं कि समूह की आमदनी से बच्चों की जरूरतें पूरी हो रही हैं और गांव के अन्य क्षेत्रों में भी मछली बेचकर अतिरिक्त लाभ मिल रहा है।
इन्द्रिपानी गांव का यह उदाहरण बताता है कि जल संरक्षण, रोजगार और आजीविका एक साथ कैसे संभव हो सकते हैं। मनरेगा के इस प्रयास ने न केवल जल संकट का समाधान किया बल्कि ग्रामीणों के जीवन स्तर को भी नई दिशा दी है। यह पहल राज्य में सतत विकास और आत्मनिर्भर ग्राम की अवधारणा को साकार करने का जीवंत उदाहरण बन चुकी है।