पिथौरा की बेटी शिवानी नायडू को बीएससी बायोटेक्नोलॉजी में स्वर्ण पदक, क्षेत्र का नाम किया रोशन

पिथौरा की शिवानी नायडू को बीएससी बायोटेक्नोलॉजी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर डॉ. सी.वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर में राज्यपाल रामेन डेका द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

Oct 17, 2025 - 18:35
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पिथौरा की बेटी शिवानी नायडू को बीएससी बायोटेक्नोलॉजी में स्वर्ण पदक, क्षेत्र का नाम किया रोशन

UNITED NEWS OF ASIA. जगदीश पटेल, महासमुंद। जिले के पिथौरा नगर की होनहार बेटी शिवानी नायडू ने अपनी मेहनत, लगन और प्रतिभा के दम पर क्षेत्र का नाम पूरे राज्य में रोशन किया है। उन्हें बी.एससी. बायोटेक्नोलॉजी में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर डॉ. सी. वी. रमन विश्वविद्यालय, बिलासपुर द्वारा स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया।

 

यह सम्मान शिवानी को 17 अक्टूबर 2025 को विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित भव्य दीक्षांत समारोह में प्रदान किया गया। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रामेन डेका मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे और उन्होंने स्वयं शिवानी को स्वर्ण पदक पहनाकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति, प्राध्यापकगण, छात्र-छात्राएँ और अभिभावक बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

शिवानी नायडू ने अपनी शिक्षा यात्रा के दौरान निरंतर उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए विश्वविद्यालय स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया। उन्होंने बताया कि यह उपलब्धि उनकी निरंतर मेहनत, परिवार के सहयोग और शिक्षकों के मार्गदर्शन का परिणाम है।

उनके पिता ने कहा कि शिवानी हमेशा से पढ़ाई को लेकर गंभीर रही हैं और विज्ञान विषयों में विशेष रुचि रखती थीं। वहीं, उनकी माता ने कहा कि यह सम्मान पूरे परिवार और क्षेत्र के लिए गर्व का क्षण है।

पिथौरा नगर सहित पूरे महासमुंद जिले में शिवानी की इस सफलता की खबर से खुशी की लहर दौड़ गई है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों, शिक्षकों और समाजसेवियों ने उन्हें बधाई देते हुए उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

विश्वविद्यालय के कुलपति ने कहा कि शिवानी जैसी छात्राएँ न केवल संस्थान का बल्कि पूरे राज्य का गौरव बढ़ाती हैं। उनकी मेहनत और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

शिवानी ने आगे बताया कि वह उच्च शिक्षा के लिए शोध क्षेत्र में आगे बढ़ने की योजना बना रही हैं ताकि जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए नवाचारों के माध्यम से समाज की सेवा कर सकें।

इस स्वर्ण पदक सम्मान से यह स्पष्ट है कि लगन और परिश्रम के बल पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं, और पिथौरा की यह बेटी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गई है।