कवर्धा वनमंडल में सीमांकन, चिन्हांकन, फेलिंग एवं लॉगिंग पर वृत्त स्तरीय कार्यशाला संपन्न — 250 प्रतिभागियों को तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान
कवर्धा वनमंडल में सीमांकन, चिन्हांकन, फेलिंग एवं लॉगिंग विषय पर कार्यशाला आयोजित, 250 अधिकारियों-कर्मचारियों को तकनीकी, विधिक व सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान, कार्य गुणवत्ता व दक्षता पर जोर।

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के तत्वावधान में दिनांक 11 अक्टूबर 2025 को कवर्धा वनमंडल के रेंगाखार (सा.) वन परिक्षेत्र में “सीमांकन, चिन्हांकन, फेलिंग एवं लॉगिंग” विषय पर एक दिवसीय वृत्त स्तरीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दुर्ग वृत्त के मुख्य वनसंरक्षक (CCF) की गरिमामयी उपस्थिति रही। इस अवसर पर दुर्ग वृत्त के अंतर्गत सभी वनमंडलाधिकारी (DFO), सहायक वनसंरक्षक (SDO), रेंजर, कूप प्रभारी एवं सहायक कूप प्रभारी सहित लगभग 250 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
कार्यशाला के दौरान दो विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा सीमांकन, चिन्हांकन, फेलिंग एवं लॉगिंग की तकनीकी और विधिक प्रक्रियाओं पर विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। प्रतिभागियों को फील्ड स्तर पर कार्य निष्पादन के दौरान सटीकता, सुरक्षा मानकों के पालन एवं गुणवत्ता नियंत्रण के महत्व से अवगत कराया गया।
कार्यक्रम का उद्देश्य फील्ड स्तर पर कार्य कर रहे अधिकारियों एवं कर्मचारियों की तकनीकी दक्षता को अद्यतन करना, पारदर्शिता सुनिश्चित करना और वन प्रबंधन की गुणवत्ता में वृद्धि करना था। प्रशिक्षण के दौरान लॉगिंग कार्यों से संबंधित आधुनिक तकनीक, मानक कार्यप्रणालियाँ, उपकरणों का सुरक्षित उपयोग और फीलिंग से जुड़े कानूनी पहलुओं पर भी चर्चा की गई।
मुख्य वनसंरक्षक ने अपने संबोधन में कहा कि “वन प्रबंधन में तकनीकी ज्ञान और सावधानी दोनों का समन्वय आवश्यक है। इस प्रकार की कार्यशालाएँ न केवल दक्षता बढ़ाती हैं, बल्कि कार्य की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को भी मजबूत करती हैं।”
कार्यशाला के समापन सत्र में प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए और आगामी फील्ड कार्यों में प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त ज्ञान का उपयोग करने हेतु प्रेरित किया गया।
रेंगाखार वन परिक्षेत्र में आयोजित यह कार्यशाला वन विभाग के सतत प्रयासों की एक महत्वपूर्ण कड़ी रही, जिसका उद्देश्य वन संसाधनों के संरक्षण के साथ-साथ मानव संसाधन के तकनीकी विकास को भी सशक्त बनाना है।