अलविदा मिग-21: 62 साल बाद सेवा मुक्त हुआ 'आसमान का योद्धा', जानिए क्या है फॉर्म 700 जिसका हुआ आखिरी इस्तेमाल

62 साल तक भारतीय आसमान की सुरक्षा करने वाले मिग-21 फाइटर जेट को आखिरी सलामी दी गई। इसके साथ ही उसका 'फॉर्म 700' रक्षा मंत्री को सौंपा गया, जो किसी विमान के सेवा इतिहास और रिटायरमेंट का अंतिम प्रतीक होता है।

Sep 26, 2025 - 16:28
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अलविदा मिग-21: 62 साल बाद सेवा मुक्त हुआ 'आसमान का योद्धा', जानिए क्या है फॉर्म 700 जिसका हुआ आखिरी इस्तेमाल

UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली| भारतीय वायुसेना की शान और 62 सालों तक देश की आसमानी सीमाओं का प्रहरी रहे मिग-21 फाइटर जेट को अब अलविदा कह दिया गया है। 26 सितंबर 2025 को चंडीगढ़ एयरबेस पर आयोजित एक भव्य विदाई समारोह में मिग-21 को वॉटर कैनन सैल्यूट देकर अंतिम सम्मान दिया गया। इस दौरान वायुसेना प्रमुख ने विमान की 'फॉर्म 700' लॉगबुक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सौंपकर इसे वायुसेना की विरासत में दर्ज किया।

अब वायुसेना में मिग-21 की जगह भरने के लिए स्वदेशी LCA तेजस Mk-1 और Mk-2 के साथ नई राफेल स्क्वाड्रन शामिल की जा रही हैं।

क्या है 'फॉर्म 700'?

मिग-21 की विदाई के साथ सबसे ज्यादा चर्चा 'फॉर्म 700' की रही, जिसे किसी विमान के रिटायरमेंट का अंतिम प्रमाण माना जाता है।
यह एक एयरक्राफ्ट टेक्निकल लॉगबुक होती है जिसमें विमान की पूरी तकनीकी जानकारी, उड़ान के दौरान आने वाली समस्याएं, मरम्मत, कलपुर्जों में बदलाव और मेंटीनेंस का पूरा रिकॉर्ड होता है।

मेंटीनेंस रिकॉर्ड: एयरफ्रेम और सिस्टम में आई हर तकनीकी समस्या का विवरण।
ऑनबोर्ड अनिवार्यता: हर उड़ान में यह विमान के साथ रखा जाता है।
संचार साधन: इंजीनियर और मेंटीनेंस टीम के बीच संवाद और मरम्मत की प्रक्रिया को दर्ज करने का माध्यम।
रिटायरमेंट प्रतीक: किसी विमान के सेवा जीवन की समाप्ति पर इसे औपचारिक रूप से रक्षा मंत्री या मुख्य अतिथि को सौंपा जाता है।

 मिग-21 की आखिरी उड़ान और विदाई समारोह

पैंथर्स नाम से मशहूर 23वें स्क्वाड्रन के आखिरी मिग-21 की फॉर्म 700 लॉगबुक रक्षा मंत्री को सौंपने से पहले, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने ‘बादल-3’ नामक स्क्वाड्रन की आखिरी उड़ान भरी। इस भावुक समारोह में पूर्व एयर चीफ एस. पी. त्यागी, बी. एस. धनोआ और ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला भी मौजूद थे।

कार्यक्रम में वायुसेना की आकाशगंगा स्काईडाइविंग टीम ने 8000 फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई, जबकि सूर्य किरण एरोबैटिक टीम ने शानदार हवाई करतब दिखाए।

 1965 युद्ध से बालाकोट तक: मिग-21 की वीरता

सोवियत संघ से खरीदे गए मिग-21 ने भारत के हर बड़े सैन्य अभियान में अपनी क्षमता साबित की।

  • 1965 और 1971 युद्ध: पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक भूमिका।

  • 1999 करगिल युद्ध: दुश्मन ठिकानों पर सटीक हमले।

  • 2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक: पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर घातक प्रहार।

कुल मिलाकर, भारत ने अब तक 870 से अधिक मिग-21 विमान खरीदे और उन्हें दशकों तक अपनी रक्षा रणनीति का अभिन्न हिस्सा बनाए रखा।

एक युग का अंत, नया अध्याय शुरू

मिग-21 के रिटायरमेंट के साथ ही भारतीय वायुसेना के इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया है। यह न सिर्फ एक फाइटर जेट था, बल्कि भारत की वायु शक्ति और तकनीकी आत्मनिर्भरता की गाथा भी था। अब तेजस, राफेल और आने वाले स्वदेशी विमानों के साथ एक नए युग की शुरुआत हो रही है।


मिग-21 सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारत की आसमानी सुरक्षा की पहचान था। उसकी विदाई के साथ वायुसेना अब अगली पीढ़ी की तकनीक से लैस होकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने को तैयार है।