आरू साहु के मधुर सुरों ने बांधा समां, म्यूजिकल ग्रुप की प्रस्तुति पर झूम उठा नगरी

नगरी में नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव के दौरान लोकगायिका आरू साहु और उनके म्यूजिकल ग्रुप की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। पारंपरिक गीतों से सजे कार्यक्रम में लोग देर तक झूमते रहे।

Sep 26, 2025 - 16:34
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आरू साहु के मधुर सुरों ने बांधा समां, म्यूजिकल ग्रुप की प्रस्तुति पर झूम उठा नगरी

UNITED NEWS OF ASIA. रिजवान मेमन, नगरी | नव आनंद कला मंदिर नगरी के तत्वाधान में आयोजित नगर स्तरीय नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव में गुरुवार की शाम छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोकगायिका आरू साहु और उनके म्यूजिकल ग्रुप की प्रस्तुति ने ऐसा समां बांधा कि पूरा नगर सुर और ताल पर झूम उठा।

लोकगायिका आरू साहु ने अपनी ख्याति प्राप्त लोकगीतों और पारंपरिक रचनाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। खचाखच भरे मैदान में लोग उनके सुरों की लय में थिरकते रहे और देर तक तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती रही।

लोकगीतों की महक से महोत्सव में आई जान

आकर्षक साज-सज्जा से सजे मंच पर आरू साहु ने करमा, सुवा, ददरिया, पंडवानी जैसे लोकगीतों की ऐसी मनमोहक प्रस्तुति दी कि दर्शक झूमने पर मजबूर हो गए। छत्तीसगढ़ी लोकसंस्कृति की सुगंध बिखेरते इन गीतों ने लोगों के दिलों को छू लिया।

समिति की ओर से आरू साहु और उनके समूह का हार्दिक स्वागत किया गया। मंच पर आरू साहु के सम्मान में जिनियस पब्लिक स्कूल, जहां से उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी, के शिक्षकों और स्टाफ ने भी उनका अभिनंदन किया।

मंच पर जुटे जनप्रतिनिधि, दी बधाई

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जिला पंचायत अध्यक्ष अरुण सार्वा रहे, जबकि अध्यक्षता नगर पंचायत नगरी के अध्यक्ष बलजीत छाबड़ा ने की।
विशेष अतिथियों में जनपद पंचायत उपाध्यक्ष हृदय साहु, पूर्व विधायक श्रवण मरकाम, पूर्व अध्यक्ष नागेंद्र शुक्ला, कमल डागा, रामगोपाल साहू और रूपेंद्र साहू मौजूद रहे। सभी ने आरू साहु की कला की सराहना करते हुए उन्हें लोकसंस्कृति की धरोहर बताया।

लोकसंस्कृति का जीवंत मंच

नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव में आरू साहु और उनके म्यूजिकल ग्रुप की प्रस्तुति ने एक बार फिर साबित कर दिया कि छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति कितनी समृद्ध और जनमानस से जुड़ी हुई है। उनकी गायकी ने न केवल मनोरंजन किया, बल्कि लोकगीतों की परंपरा को भी जीवंत कर दिया।

आरू साहु का यह कार्यक्रम नगरी के लोगों के लिए यादगार बन गया। पारंपरिक गीतों और लोकसंगीत के रंगों से सजी इस संध्या ने नवदुर्गा और विजयदशमी उत्सव को और भी विशेष बना दिया।