डंकनी नदी की भीषण बाढ़ के बाद भी अडिग रही भगवान श्रीराम की प्रतिमा, दंतेवाड़ा में नई पर्णकुटी में हुआ पुनः प्रतिष्ठापना
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में डंकनी नदी की भीषण बाढ़ के बावजूद अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई भगवान श्रीराम की आदमकद प्रतिमा को अब नई पर्णकुटी में पुनः स्थापित कर दिया गया है। बस्तर धाकड़ राजपूत समाज ने श्रमदान और सामूहिक प्रयासों से शारदीय नवरात्रि के अवसर पर नई पर्णकुटी का निर्माण कर ज्योति कलश की स्थापना भी की है। इससे पहले बाढ़ में पुरानी पर्णकुटी बह गई थी, लेकिन श्रीराम की प्रतिमा चमत्कारिक ढंग से सुरक्षित रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह प्रतिमा अडिग श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन गई है।

UNITED NEWS OF ASIA. असीम पाल, दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में आस्था और श्रद्धा का अद्भुत उदाहरण देखने को मिला है। हाल ही में डंकनी नदी में आई भीषण बाढ़ के दौरान जहां पूरी पर्णकुटी बह गई थी, वहीं भगवान श्रीराम की आदमकद प्रतिमा अपनी जगह से टस से मस नहीं हुई। अब शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर बस्तर धाकड़ क्षत्रिय राजपूत समाज के सामूहिक प्रयासों और श्रमदान से उस स्थान पर फिर से नई पर्णकुटी का निर्माण किया गया है और भगवान श्रीराम को विधिविधान से पुनः प्रतिष्ठापित किया गया है।
इस बार पर्णकुटी को पारंपरिक तरीके से तैयार करते हुए नारियल के पत्तों और प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया गया है। इसके साथ ही श्रद्धालुओं ने स्थल पर ज्योति कलश की स्थापना कर रोजाना आरती-पूजन की व्यवस्था भी शुरू कर दी है।
जन सहयोग से बनी थी पहली पर्णकुटी
बस्तर धाकड़ राजपूत समाज ने इसी वर्ष 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की वर्षगांठ पर इस पवित्र स्थान पर घास-फूस से पहली पर्णकुटी बनाई थी। समाज के वरिष्ठ सदस्य नीलम ठाकुर ने बताया कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल का अधिकांश समय दंडकारण्य के जंगलों में घास-फूस की कुटिया में बिताया था। दंतेवाड़ा क्षेत्र भी उसी ऐतिहासिक दंडकारण्य का हिस्सा है, इसलिए इस पवित्र स्थल को पर्णकुटी के प्रारंभिक स्वरूप में तैयार किया गया था।
स्थानीय श्रद्धालुओं का कहना है कि बाढ़ के दौरान भी श्रीराम की प्रतिमा का अडिग रहना उनके विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। अब पुनः स्थापित यह पर्णकुटी न केवल आस्था का केंद्र बनी हुई है बल्कि शारदीय नवरात्रि के दौरान भक्तों के लिए आकर्षण और प्रेरणा का स्थल भी बन गई है।