जिला कोण्डागांव में महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम ने 05 लाख ईनामी के साथ आत्मसमर्पण किया

कोण्डागांव की महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम ने 05 लाख रूपए ईनामी के साथ आत्मसमर्पण किया। उन्हें छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।

Oct 15, 2025 - 16:01
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जिला कोण्डागांव में महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम ने 05 लाख ईनामी के साथ आत्मसमर्पण किया

UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, कोण्डागांव। जिला कोण्डागांव में सक्रिय महिला नक्सली गीता उर्फ कमली सलाम ने छत्तीसगढ़ शासन की नवीन आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति-2025 के तहत आत्मसमर्पण किया। गीता, जो पूर्वी बस्तर डिवीजन के टेलर टीम कमाण्डर (ACM) पद पर सक्रिय थी, पर 05 लाख रुपए का ईनाम था।

सुरक्षा बलों द्वारा लगातार नक्सल विरोधी अभियान, संगठन में आंतरिक मतभेद, शीर्ष लीडरों के आत्मसमर्पण और समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सुरक्षित पारिवारिक जीवन जीने की इच्छा ने गीता को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया। शासन की विकासोन्मुखी योजनाओं—सड़कों का विस्तार, परिवहन, पानी, बिजली, मोबाइल नेटवर्क और अन्य जनकल्याणकारी कार्यक्रमों के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव और सुरक्षा बलों द्वारा सकारात्मक संवाद ने भी इस कदम में सहायक भूमिका निभाई।

महिला नक्सली गीता को पुलिस अधीक्षक कोण्डागांव वॉय अक्षय कुमार के समक्ष आत्मसमर्पण कराया गया। उन्हें छत्तीसगढ़ नक्सलवाद उन्मूलन नीति के तहत 50 हजार रुपये प्रोत्साहन राशि तत्काल प्रदान किए गए। इसके अतिरिक्त शासन की पुनर्वास नीति के तहत अन्य सुविधाओं के लिए वरिष्ठ कार्यालय के माध्यम से प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

इस अवसर पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक ऑप्स कोण्डागांव रूपेश कुमार डाण्डे, उप पुलिस अधीक्षक ऑप्स कोण्डागांव सतीश भार्गव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे। आत्मसमर्पण के दौरान सुरक्षा बलों ने इसे संगठन और समाज दोनों के लिए सकारात्मक उदाहरण बताया।

कोण्डागांव में नक्सल विरोधी अभियान लगातार जारी हैं। पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुंदरराज पी., उपमहानिरीक्षक उत्तर बस्तर रेंज अमित तुकाराम काम्बले के निर्देशन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के नेतृत्व में सुरक्षा बल नियमित रूप से सिविक एक्शन प्रोग्राम और जन कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी नक्सल प्रभावित ग्रामीण क्षेत्रों में दे रहे हैं।

अधिकारियों ने कहा कि यह आत्मसमर्पण शासन की नीतियों और सुरक्षा बलों की मेहनत का प्रत्यक्ष परिणाम है। इससे यह संदेश जाता है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में सुरक्षा, विकास और पुनर्वास योजनाओं के माध्यम से लोगों को मुख्यधारा से जोड़कर स्थायी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।