पलस्तर गिरता स्कूल, खतरे में मासूमों की जान: सहसपुर लोहारा के बड़ौदा खुर्द प्राथमिक विद्यालय की हालत जर्जर

सहसपुर लोहारा विकासखंड के बड़ौदा खुर्द प्राथमिक विद्यालय की दीवारें और छत जर्जर हो चुकी हैं। पलस्तर गिरने से बच्चों की जान जोखिम में है, लेकिन बार-बार सूचना देने के बावजूद प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया।

Sep 27, 2025 - 18:31
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पलस्तर गिरता स्कूल, खतरे में मासूमों की जान: सहसपुर लोहारा के बड़ौदा खुर्द प्राथमिक विद्यालय की हालत जर्जर

UNITED NEWS OF ASIA. बालोद। छत्तीसगढ़ के सहसपुर लोहारा विकासखंड के अंतर्गत स्थित शासकीय प्राथमिक शाला बड़ौदा खुर्द की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि वहां पढ़ने वाले बच्चे हर दिन अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल भवन के छत और दीवारों का पलस्तर जगह-जगह से भरभराकर गिर रहा है, जिससे किसी भी समय गंभीर हादसा हो सकता है।

मरम्मत आदेश के बावजूद नहीं हुआ कोई काम
जिला प्रशासन द्वारा स्कूल प्रवेश उत्सव से पहले सभी स्कूल भवनों की मरम्मत कार्य पूरा करने के निर्देश जारी किए गए थे। बावजूद इसके, बड़ौदा खुर्द स्कूल का भवन मरम्मत के नाम पर आज तक जस का तस पड़ा हुआ है। शिक्षक और ग्रामीण कई बार शिकायतें दर्ज करा चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।

बारिश से बढ़ रहा है खतरा
फिलहाल बारिश का मौसम चल रहा है और छत पर पानी भरने से भवन की हालत और बिगड़ गई है। सीपेज के कारण दीवारों और छत से लगातार पलस्तर गिर रहा है। शिक्षक और अभिभावकों को डर है कि कहीं यह जर्जर संरचना किसी दिन मासूम बच्चों के लिए जानलेवा साबित न हो जाए।

सरकारी दावों और जमीनी हकीकत में फर्क
राज्य सरकार हर साल शिक्षा के लिए करोड़ों रुपये का बजट पेश करती है, लेकिन इस स्कूल का हाल देखकर लगता है कि वह बजट कागजों तक ही सीमित रह गया है। शिक्षक बताते हैं कि पिछले कई वर्षों से भवन मरम्मत की मांग की जा रही है, लेकिन न तो कोई सर्वे हुआ और न ही कोई कार्य शुरू हुआ।

स्थानीयों की मांग – तुरंत हो मरम्मत
ग्रामीणों और अभिभावकों ने प्रशासन से अपील की है कि बड़ौदा खुर्द स्कूल की मरम्मत को तुरंत प्राथमिकता में लिया जाए, ताकि मासूम बच्चों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा प्राप्त हो सके।

बड़ौदा खुर्द प्राथमिक विद्यालय की जर्जर स्थिति शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है। यदि समय रहते भवन की मरम्मत नहीं की गई तो यह लापरवाही किसी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस खतरे को कितनी गंभीरता से लेता है।