मुंबई पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट रैकेट का भंडाफोड़ किया, 6 गिरफ्तार, बुजुर्गों से करोड़ों की ठगी

मुंबई पुलिस ने अंतरराज्यीय डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड गिरोह पकड़ा, 6 आरोपी गिरफ्तार, बुजुर्गों से करोड़ों की ठगी का खुलासा, विदेशी मास्टरमाइंड्स से संचालित रैकेट का पर्दाफाश।

Oct 18, 2025 - 14:03
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मुंबई पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट रैकेट का भंडाफोड़ किया, 6 गिरफ्तार, बुजुर्गों से करोड़ों की ठगी

UNITED NEWS OF ASIA. मुंबई। देशभर में डिजिटल अरेस्ट फ्रॉड के मामलों में तेजी के बीच मुंबई पुलिस ने एक बड़ा सफलता हासिल की है। आर.ए.के. रोड पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया, जो खुद को एटीएस और एनआईए अधिकारी बताकर लोगों से करोड़ों रुपये ठगता था। इस गिरोह के निशाने पर मुख्य रूप से बुजुर्ग लोग थे।

जांच में पता चला कि शिकायतकर्ता को 25 सितंबर 2025 से 28 सितंबर तक लगातार फोन और व्हॉट्सऐप कॉल आए। कॉल करने वाले खुद को एटीएस और नई दिल्ली के एनआईए अधिकारी बताकर धमकाने लगे, यह कहते हुए कि उनके बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिए जाएंगे। आरोपियों ने वीडियो कॉल पर डर दिखाकर कुल 70 लाख रुपये ठगे।

पुलिस ने जांच के दौरान यह खुलासा किया कि गिरोह के मास्टरमाइंड्स चीन और कंबोडिया में बैठे थे। स्थानीय आरोपी विदेशी निर्देशों पर बैंक खातों में रकम ट्रांसफर करते और उसे क्रिप्टोकरेंसी व अमेरिकी डॉलर में बदल देते थे। कुल 138 बैंक खातों का इस्तेमाल इस प्रक्रिया में किया गया।

आर.ए.के. रोड पुलिस ने साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से तकनीकी जांच शुरू की और 15 बैंक खाते फ्रीज़ किए, जिनमें से 10.5 लाख रुपये जब्त किए गए। गिरोह के कुछ सदस्य गुजरात और राजस्थान में छिपे हुए पाए गए। इसके बाद विशेष टीम वहां भेजकर छापेमारी की।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान सुरेशकुमार मगनलाल पटेल, मुसरन इकबालभाई कुंभार, चिराग महेश चौधरी, अंकित कुमार महेशभाई शाह, वासुदेव उर्फ विवान वालजीभाई बारोट और युवराज उर्फ मार्को उर्फ लक्ष्मण सिंह सिकरवार के रूप में हुई। गिरोह का सरगना युवराज था, जो विदेश स्थित मास्टरमाइंड्स से सीधे संपर्क में था और हर ठगी पर 3 प्रतिशत कमीशन पाता था।

जांच में यह भी सामने आया कि इसी तरह के हाई-प्रोफाइल डिजिटल फ्रॉड में एक 72 वर्षीय व्यापारी और उनकी पत्नी से 58 करोड़ रुपये ठगे गए थे। आरोपियों ने पीड़ितों को एपीके फाइल भेजकर उनके फोन पर नियंत्रण प्राप्त किया और मानसिक दबाव डालकर ठगी को अंजाम दिया।

अब महाराष्ट्र पुलिस की साइबर सेल पूरी जांच अपने हाथ में ले चुकी है और आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी है। यह कार्रवाई डिजिटल फ्रॉड और साइबर अपराध में सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।