कोंडागांव में 30 मत्स्य कृषकों को मछली पालन तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण, झींगा बीज का भी वितरण

कोंडागांव में 30 मत्स्य कृषकों को तीन दिवसीय मछली पालन तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण दिया गया। झींगा पालक कृषकों को मछली बीज भी वितरित किया गया।

Oct 11, 2025 - 13:31
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कोंडागांव में 30 मत्स्य कृषकों को मछली पालन तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण, झींगा बीज का भी वितरण

UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, कोंडागांव। जिला कलेक्टर नुपूर राशि पन्ना के मार्गदर्शन में शासकीय मत्स्य बीज प्रक्षेत्र कोपाबेड़ा में तीन दिवसीय मछली पालन तकनीकी उन्नयन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कुल 30 मत्स्य कृषकों ने भाग लिया। झींगा पालक कृषकों को मछली बीज का वितरण भी किया गया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में योगेश कुमार देवांगन ने कृषकों को मछली पालन से संबंधित तकनीकी ज्ञान, तालाब की तैयारी, मछली बीज का चयन, संचयन विधि और मत्स्य आहार के प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन को आधुनिक तकनीकों के माध्यम से प्रोत्साहित करना, कृषकों की आय में वृद्धि करना और उनकी आजीविका में सुधार लाना है।

छत्तीसगढ़ शासन मछली पालन विभाग ने बस्तर संभाग में झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए विशेष पायलट प्रोजेक्ट लागू किया है, जो संभाग के सात जिलों में संचालित किया जा रहा है। कोंडागांव जिले में प्रथम चरण में चयनित 30 कृषकों को 07 अक्टूबर से 09 अक्टूबर तक तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया।

झींगा, जिसे सामान्यतः फ्रेश वाटर झींगा, चिंगड़ी या प्रान्स कहा जाता है, बाजार में उच्च मूल्य और प्रोटीन के कारण किसानों के लिए लाभकारी है। इसका औसत मूल्य 400 से 500 रुपये प्रति किलो है, जिससे कृषकों की आय में वृद्धि की संभावना बढ़ती है।

कार्यक्रम में जिला पंचायत के उपाध्यक्ष हीरासिंह नेताम, जिला पंचायत सदस्य नंदलाल राठौर, जनपद अध्यक्ष श्रीमती अनीता कोर्रम, जनपद उपाध्यक्ष टोमेन्द्र सिंह ठाकुर, जनपद सदस्य एवं कृषि सभापति श्रीमती बिमला बघेल, मछली पालन विभाग के उप संचालक एम.एल. राणा, सहायक मत्स्य अधिकारी योगेश कुमार देवांगन और मत्स्य निरीक्षक सुश्री अस्मिता एवं सुश्री नोमेश्वरी दीवान उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम से कृषकों को मछली पालन की आधुनिक तकनीकों का व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्हें अपने तालाबों में उत्पादन बढ़ाने तथा आय सृजन के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए गए। इससे ग्रामीण आजीविका में सुधार होने के साथ-साथ कृषि और मत्स्य पालन का क्षेत्र और मजबूत होगा।