पाकिस्तान-सऊदी रक्षा समझौता भारत-सऊदी रिश्तों को नहीं करेगा प्रभावित: विशेषज्ञ
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हालिया रक्षा समझौते को लेकर भारत में चिंता जताई जा रही थी, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझौता भारत-सऊदी अरब के रिश्तों को प्रभावित नहीं करेगा। सऊदी अरब के भारत के साथ संबंध बहु-स्तरीय और ऊर्जा एवं आर्थिक साझेदारी पर आधारित हैं। समझौते का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान को आर्थिक मदद देना और सऊदी अरब के लिए वैकल्पिक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना है।

UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली/दुबई। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हाल ही में हुए रक्षा समझौते को लेकर भारत में चिंता व्यक्त की जा रही थी। इस समझौते के तहत यदि एक देश पर हमला होता है, तो इसे दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। भारत के कई विश्लेषक इसे मई में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सैन्य संघर्ष के संदर्भ में देख रहे हैं।
एहतेशाम शाहिद के अनुसार, सऊदी अरब ने सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए पाकिस्तान के साथ यह समझौता किया है। मध्य पूर्व में ईरान, इसराइल और क़तर जैसे जटिल सुरक्षा हालात को देखते हुए अमेरिका पर भरोसे में कमी महसूस की गई है। वहीं पाकिस्तान के लिए यह समझौता आर्थिक सहायता सुनिश्चित करने का माध्यम भी है।
कनिका राखरा ने कहा कि मध्य पूर्व में अमेरिका की भूमिका कम होने और अनिश्चित होने के कारण सऊदी अरब वैकल्पिक सुरक्षा व्यवस्था तलाश रहा है। हालांकि, पाकिस्तान अमेरिका का विकल्प नहीं हो सकता।
भारत-सऊदी अरब के संबंधों पर असर के सवाल पर दोनों विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि सऊदी अरब के भारत से रिश्ते बहु-स्तरीय हैं, जिसमें ऊर्जा, आर्थिक सहयोग और बड़ी संख्या में भारतीय श्रमिकों की उपस्थिति शामिल है। मोहम्मद बिन सलमान के भारत दौरे के समय भी स्पष्ट किया गया था कि पाकिस्तान-सऊदी समझौते का भारत-सऊदी रिश्तों से कोई संबंध नहीं है।
कनिका राखरा ने यह भी कहा कि समझौते का टेक्स्ट सार्वजनिक नहीं किया गया है, इसलिए यह कहना मुश्किल है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब एक-दूसरे को किस तरह का समर्थन देंगे। एहतेशाम शाहिद का मानना है कि इस समझौते को भारत-पाकिस्तान संघर्ष के संदर्भ में देखने की बजाय मध्य पूर्व में सुरक्षा हालात में बदलाव के रूप में देखना चाहिए।
विशेषज्ञों का निष्कर्ष है कि फिलहाल कोई संकेत नहीं है कि पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौता भारत-सऊदी अरब संबंधों को प्रभावित करेगा।
इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान की आर्थिक सहायता और सऊदी अरब के लिए वैकल्पिक सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना है। भारत-सऊदी अरब के बहु-स्तरीय रिश्तों और आपसी भरोसे को देखते हुए कोई तात्कालिक संकट पैदा होने की संभावना नहीं है।