
अरुण पुरेना बेमेतरा। विश्व क्षय दिवस के अवसर पर जिले में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसी क्रम में शासकीय नवीन महाविद्यालय, बेरला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. यशवंत कुमार ध्रुव के निर्देशानुसार एवं खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. जितेंद्र कुंजाम के मार्गदर्शन में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य टीबी रोग की जानकारी देना और इसकी रोकथाम के लिए समुदाय को जागरूक करना था।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. जितेंद्र कुंजाम ने टीबी के नए रोगियों की पहचान और C-Y टीबी टेस्टिंग को बढ़ावा देने की अपील की। उन्होंने बताया कि नगर पंचायत बेरला सहित ग्रामीण समुदाय के सभी लोगों—वयोवृद्ध, बच्चे एवं आमजन—को टीबी की जांच करानी चाहिए। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. प्रेमलता गौरे ने बताया कि टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलोसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है, जिसकी खोज जर्मन वैज्ञानिक डॉ. रॉबर्ट कोच ने 24 मार्च 1882 को की थी। इसी उपलक्ष्य में हर वर्ष 24 मार्च को विश्व क्षय दिवस मनाया जाता है।
कार्यक्रम में सहायक प्राध्यापक डॉ. बीआर सिवारे ने टीबी के लक्षणों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी, बलगम आना, बलगम में खून आना, छाती में दर्द, गले में गांठ, कमजोरी, थकान और वजन में कमी जैसे लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जांच करानी चाहिए। राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के वरिष्ठ उपचार पर्यवेक्षक दिनेश गंगबेर ने बताया कि टीबी की पुष्टि के लिए ट्रू-नाट टेस्ट, CB-NAAT एवं बलगम की जांच कराई जानी चाहिए।
C-Y टीबी जांच कार्यक्रम के तहत पहले चरण में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की जांच की जाएगी। यह जांच शरीर में टीबी संक्रमण की दर को मापती है। यदि जांच का परिणाम सकारात्मक आता है, तो मरीज को टीपीटी (निवारक दवा) दी जाएगी। यदि रिपोर्ट नकारात्मक आती है, तो तीन महीने बाद पुनः जांच की जाएगी।
इस जागरूकता कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग की टीम से अजित जांगड़े (लैब सुपरवाइजर), काउंसलर मौसमी टंडन, श्याम सोनी (सुपरवाइजर) और उर्वशा ने सभी उपस्थित छात्रों और स्टाफ को टीबी उन्मूलन की शपथ दिलाई। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. प्रेमलता गौरे, सहायक प्राध्यापक डॉ. बीआर सिवारे, आनंद कुमार कुर्रे, आशीष एक्का, गनराज पावले, खुशबू ध्रुव, डॉ. हरिप्रकाश सोनवानी सहित अन्य प्राध्यापकगण व कार्यालय स्टाफ उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समुदाय को टीबी के प्रति सचेत करना और समय पर जांच और उपचार सुनिश्चित करना था।













