
UNITED NEWS OF ASIA.बिलासपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिलासपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने उन्हें बिलासा देवी केवट की प्रतिमा स्मृति चिन्ह के रूप में भेंट की। यह स्मृति चिन्ह छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत, महिला सशक्तिकरण और केवट समुदाय की ऐतिहासिक भूमिका का प्रतीक है, जो प्रधानमंत्री मोदी की नारी शक्ति और राष्ट्र निर्माण की परिकल्पना को भी दर्शाता है।
कौन थीं माता बिलासा देवी?
बिलासा देवी केवट का नाम छत्तीसगढ़ के इतिहास में वीरता, संघर्ष और नेतृत्व के लिए स्वर्ण अक्षरों में अंकित है। उन्हीं के नाम पर बिलासपुर का नामकरण हुआ है। केवट समुदाय से आने वाली बिलासा देवी ने समाज में अपने साहस और परिश्रम से एक अमिट छाप छोड़ी। केवट समाज भारतीय संस्कृति और इतिहास में जलमार्ग परिवहन और व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।
भगवान श्रीराम के जीवन में भी केवट समुदाय की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी, जब एक केवट ने उन्हें गंगा पार करवाई थी। यह समुदाय मेहनत, ईमानदारी और सेवा भाव का प्रतीक रहा है।
महिला सशक्तिकरण में बिलासा देवी का योगदान
बिलासा देवी ने यह साबित किया कि महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा सकती हैं। उनके योगदान से प्रेरणा लेकर आज महिलाएँ शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, उद्यमिता और रक्षा जैसे क्षेत्रों में देश को नई ऊँचाइयों तक पहुँचा रही हैं।
नारी शक्ति और प्रधानमंत्री मोदी की योजनाएँ
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, उज्ज्वला योजना, महिला स्वयं सहायता समूह, और नारी शक्ति मिशन जैसी योजनाएँ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को भेंट किया गया यह स्मृति चिन्ह नारी सशक्तिकरण और राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करने का एक प्रतीक है। यह भारतीय संस्कृति में महिलाओं के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाता है और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत है।
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