यूपी निकाय चुनाव को लेकर सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि ओबीसी रिजल्ट के साथ ही निकाय चुनाव आयोग जाएंगे। ओबीसी न्यूट्रीशन को लेकर आयोग के गठन का ऐलान भी कर दिया गया है। सरकार के फैसले के बाद बड़ा सवाल यह है कि आयोग गठन के बाद ओबीसी रिजल्ट का काम पूरा होने में कितने समय लगेगा और कब तक यूपी में निकाय चुनाव हो सकते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि निकायों के चुनाव कम से कम तीन महीने के लिए कह दिए जाते हैं।
राज्य को अब उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर पहले आयोग का गठन करना होगा। इसकी निगरानी में अन्य पिछड़े वर्गों को विस्तार देने की प्रक्रिया तैयार की जाएगी। यूपी में फरवरी में ग्लोबल इंवेस्टर स्मिट है और इसी महीने से यूपी बोर्ड के साथ अलग-अलग बोर्ड के एग्जाम शुरू हो रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि अप्रैल या मई में अब निकाय चुनाव होंगे। अगर सरकार सुप्रीम कोर्ट जाती है और वहां सुप्रीम कोर्ट सरकार के पक्ष में फैसला दे तो निकाय चुनाव जनवरी में हो सकता है।
सूचना में सूचित किया जाएगा
यूपी में निकाय चुनावों की सूचनाओं को घातक बताया जा रहा था। वर्ष 2017 में 27 निकाय चुनाव के लिए सूचना जारी की गई थी। उस समय तीन चरणों में चुनाव हुआ था और मतगणना 1 दिसंबर 2017 को हुई थी। इस बार निकाय चुनाव में विभागीय स्तर पर देरी हुई। दिसंबर में वार्डों और डिटेल्स का खुलासा हुआ।
यूपी निकाय चुनावः क्या है ओबीसी नटखट में ट्रिपल टेस्ट का फॉर्मूला?
पांच दिसंबर को मेयर और अध्यक्ष की आशंका के बारे में अप्रत्याशित रूप से जारी किया गया। इस पर सात दिनों में आपत्तियां देखी गईं। नगर विकास विभाग यह मान रहा था कि 14 या 15 दिसंबर तक वह राज्य निर्वाचन आयोग को कार्यक्रम का प्रस्ताव देगा, लेकिन इस बीच मामला उच्च न्यायालय में फंस गया।
कहाँ चूक हुई है
निकाय चुनावों के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2010 में फैसला दिया था। इसमें यह स्पष्ट किया गया था कि आयोग का गठन करते हुए अन्य श्रेणी के वर्गों के लिए वार्ड और विवरण का विवरण दिया जाएगा। इसके बाद भी इसकी अनदेखी की गई। लैटरों की गिनती के लिए सिर्फ नए बॉडी में रैपिड सर्वे सर्वे किए गए, पुराणों को छोड़ दिया गया।
इसलिए ही नहीं निकाय चुनाव में तथ्य को लेकर हर बार स्थानीय निकायों की अहम भूमिका रहती है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि इस बार उनकी मदद नहीं ली गई। वार्ड बनने से लेकर विवरण की प्रक्रिया में बताया जा रहा है कि अधिकतर नए अधिकारी हुए थे, इसलिए कई अहम चूक गए।र्गक
कई अधिकारी गाज पर गिर सकते हैं
सूत्रों का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले के बाद उच्च स्तर पर नाराजगी जताई गई है। बताया जा रहा है कि इसकी जल्द ही जिम्मेदारी तय हो जाएगी कि कैसे इतनी बड़ी गलती हो गई। इसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों का कहना है कि नगर विकास विभाग के कुछ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, लेकिन उच्च स्तर पर मामले की लिपापोती की जा रही है, जिससे अपनों को यथावत रखा जा सकता है।