
UNITED NEWS OF ASIA. रुपेश साहू, मैनपुर । बदलते वक्त के साथ बहुत सी चीजो ने अपना अस्तित्व धीरे धीरे खोया है, लेकिन आज भी कई महत्वपूर्ण चीजों का स्थान नहीं बदला है। जिसमें विवाह मे दुल्हे के सिर का ताज कहे जाने वाले मउर का इस्तेमाल आज भी शादी विवाह मे होता है, इसके बिना यह संस्कार अधुरे हैं। मउर बांस व छिन्द के पत्ते से बनी एक विशेष प्रकार का मुकुट है बदलते समय के साथ इसके डिजाईन मे भी बदलाव आ गया है।
लेकिन आज भी शादी विवाह मे इसकी आवश्यकता सबसे ज्यादा है। इन दिनो क्षेत्र मे शादी विवाह की धूम मची हुई है और पारंपरिक मउर बनाने वाले कारीगरों के पास समय भी कम है दिन रात सिर्फ यही काम करते दिखाई दे रहे है। मैनपुर पटेलपारा निवासी तुलाराम पटेल ने बताया कि वे पिछले लगभग 30 वर्षों से मउर बनाने का कार्य कर रहे है मउर बनाने के लिए बांस, छिन्द पत्ते और रंगीन चमकीले कागज, तामड़ा का उपयोग किया जाता है।
एक जोड़ी मउर का निर्माण करने मे उन्हें 2 दिन लगता है और इसके एवज मे उन्हे सगुन के तौर पर दो हजार रूपये तक मिल जाते हैं। उन्होंने बताया कई बार तो एक नारियल में भी मउर बनाकर देना पड़ता है, यह उनका पारपंरिक कार्य है और यह कार्य को वे पूरे सेवाभाव के साथ करते है क्योंकि तुलाराम पटेल एक समृध्द कृषक भी है। खेती किसानी के साथ उनके खेती बाड़ी मे सब्जियों का भी उत्पादन वे करते हैं। उन्होने बताया इस साल लगभग 50 जोड़ो की मउर उनके द्वारा तैयार किया जा रहा है और इस मउर को हाथ से बनाया जाता है जिसमें काफी समय लगता है और काफी बारीकी से इस कार्य को करना पड़ता है। यह मउर दुल्हा दुल्हन के साथ देव स्थल व मड़वा हल्दी तेल के लिए भी बनाया जाता है।
यह हमारे रिवाज सामाजिक सांस्कृतिक प्रथा का एक हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण ईलाकों मे आज भी मउर का मांग बहुत ज्यादा है शादी विवाह तय होते ही सबसे पहले लोग मउर बनाने के लिए पहुंचते है।
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