
मेघालय में मौजूदा मौजूदा कॉनराड मेघमा की एनपीपी ने 60 से 26 राज्यों में जीत की और भाजपा के समर्थन से सत्ता में वापसी की संभावना है, जो राज्य में तीन जुड़ाव है।
भूत के तीन राज्यों, नागालैंड और मणिरादि में विधानसभा चुनाव के नतीजे गुरुवार को घोषित होने के बाद बीजेपी के पास जश्न मनाने के लिए बहुत कुछ है। भगवा पार्टी ने अपने गठबंधन दलों के साथ त्रिपुरा और नागालैंड दोनों में बहुमत का पात्र पार किया। मेघालय में मौजूदा मौजूदा कॉनराड मेघमा की एनपीपी ने 60 से 26 राज्यों में जीत की और भाजपा के समर्थन से सत्ता में वापसी की संभावना है, जो राज्य में तीन जुड़ाव है।
नागालैंड: नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)- भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन को बहुमत हासिल करने के बाद पांचवीं बार हजार रियो का नंबर लगभग तय हो गया है। अटका एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन ने बृहस्पतिवार को 33 सीटों पर जीतकर 60 सदस्यीय नगालैंड विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। इस जीत के साथ रियो ने वरिष्ठ नेता एस सी जमीर का रिकॉर्ड तोड़ दिया, जिन्होंने तीन बार भूतपूर्व राज्य का नेतृत्व किया था।
मेघालय: वर्ष 2004 के अपने पहले चुनाव में हार का सामना करने वाले नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपीई) के अध्यक्ष और मेघालय के कर्मचारी कोनराड के संगमा एक बार फिर मेघालय के पदों का कार्यभार संभालने की ओर बंटे हुए हैं। साल 2004 के बाद से 45 साल बाद उनके पिता पीए मेघारा की तरह एक शक्तिशाली राजनेता के रूप में उभरे हैं, जो हर चुनाव के बाद मजबूत होते जा रहे हैं। अकेले चुनाव में शामिल हुए बीजेपी ने 2 अटैचमेंट जोड़े हैं।
त्रिपुरा: त्रिपुरा में बीजेपी-आईपीएफटी गठबंधन ने 60 सदस्यीय विधानसभा में 33 सीटें जीतकर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी की है। पूर्ववर्ती राजघराने के वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा द्वारा अटकरा मोठा पार्टी को 13 सीट मिलीं, जबकि वाम-कांग्रेस गठबंधन ने 14 सीटें हासिल कीं। देबबर्मा की पार्टी ने जनजातीय क्षेत्रों में वाम दल के वोट में सेंध लगाई। आपराधिक कांग्रेस (टायसी) का बेहद खराब प्रदर्शन रहा है। टीएमसी ने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उसे कहीं भी सफलता नहीं मिली।
कांग्रेस का हाथ खाली रह गया
मुश्किल दौर से गुजर रही कांग्रेस की हार का सिलिसला थमने का नाम नहीं ले रही है। अब उन्हें भूतपूर्व तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में निराशा हाथ लगी है, हालांकि कुछ जगहों के उपचुनावों में उनकी कुछ छोटी-छोटी धारणाएं जीत जाती हैं। देश के मुख्य विपक्षी दल त्रिपुरा में वाम दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का प्रयोग भी विफल कर रहे हैं। उसने ऐसा ही प्रयोग वर्ष 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भी किया था, जहां उसका खाता भी खुल नहीं पाया था।



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