
UNITED NEWS OF ASIA. चंद्रकांत वर्मा, बलौदाबाजार – भाटापारा | छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में यातायात नियमों की आड़ में एक चौंकाने वाला खेल चल रहा है। यहां ट्रैफिक पुलिस ने ‘टोकन सिस्टम’ लागू कर ओवरलोड ट्रकों को खुली छूट दे रखी है, जबकि ग्रामीण मोटरसाइकिल सवारों को कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।
‘टोकन सिस्टम’ के नाम पर भ्रष्टाचार! क्या वाकई पुलिस नियमों की रखवाली कर रही है या फिर वसूली का नया खेल चल रहा है?
इस जिले में हर दिन हजारों ट्रक ओवरलोडिंग और नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सड़कों पर दौड़ रहे हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस की नजरें उन पर नहीं पड़तीं। दूसरी ओर, जो ग्रामीण अपनी मोटरसाइकिल पर हेलमेट या दस्तावेज भूल जाते हैं, उनका भारी-भरकम चालान काटा जा रहा है।
अब सवाल उठता है? कि क्या छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार ट्रैफिक पुलिस का उद्देश्य सिर्फ आम जनता से वसूली करना रह गया है? आखिर ये ‘टोकन सिस्टम’ क्या है और कैसे यह भ्रष्टाचार का नया चेहरा बन चुका है?
टोकन सिस्टम: एक ‘गुप्त परमिट’ या भ्रष्टाचार की नई राह?
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में ओवरलोड ट्रक और व्यावसायिक वाहन पुलिस को एक तयशुदा रकम देकर टोकन प्राप्त करते हैं। इस टोकन को दिखाने पर उन्हें बिना किसी जांच के पास होने दिया जाता है।
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कैसे काम करता है टोकन सिस्टम?
ट्रैफिक पुलिस ट्रकों और बड़े वाहनों को दो प्रकार के टोकन देती है—
छोटे वाहनों के लिए ‘छोटा टोकन’
बड़े वाहनों के लिए ‘बड़ा टोकन’
एक बार टोकन मिल जाने के बाद, वाहनों को बिना किसी रोक-टोक के चलने की छूट मिल जाती है।
यह टोकन दिखने में प्रचार सामग्री जैसा लगता है, लेकिन यह ‘छूट पास’ का काम करता है।
एक ट्रक चालक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया:
“भैया, बिना टोकन के गाड़ी निकालना बहुत मुश्किल है। हमें हर महीने एक तयशुदा रकम देकर यह टोकन लेना पड़ता है। पुलिस को भी अपना हिस्सा मिल जाता है, इसलिए वे कुछ नहीं कहते।”
कैसे हो रही है अवैध वसूली?
ट्रकों को यह टोकन लेने के लिए एक निश्चित रकम देनी होती है, जो पुलिस और अन्य अधिकारियों तक पहुंचती है।
यह सिस्टम पिछले 10-12 महीनों से चल रहा है, और इससे लाखों की वसूली हो रही है।
आश्चर्यजनक रूप से, इस मामले में उच्च अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
ओवरलोड ट्रकों के लिए ‘फ्री पास’, क्या बलौदाबाजार पुलिस का ‘टोकन सिस्टम’ भ्रष्टाचार का नया मॉडल है?
बलौदाबाजार-भाटापारा जिला छत्तीसगढ़ के औद्योगिक जिलों में से एक है, जहां सीमेंट फैक्ट्रियां और रेत खदानें बड़ी संख्या में मौजूद हैं। इनसे रोजाना हजारों ओवरलोड ट्रक निकलते हैं, लेकिन पुलिस और परिवहन विभाग की कार्रवाई सिर्फ छोटे वाहन चालकों तक सीमित रह गई है।
ग्रामीण बाइक सवार क्यों बन रहे पुलिस का आसान निशाना?
हेलमेट, लाइसेंस, पीयूसी जैसी छोटी-छोटी चीजों के लिए ग्रामीणों पर भारी चालान ठोका जा रहा है।
गांव से आने वाले मजदूर और किसान, जो अपने दैनिक कार्यों के लिए शहर आते हैं, वे सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
जब्त की गई गाड़ियों को छोड़ने के लिए उन्हें भारी जुर्माना भरना पड़ रहा है।
एक स्थानीय दुकानदार ने बताया:
“गांव के लोग अब शहर आने से डरते हैं। पुलिस छोटे लोगों को ही टारगेट कर रही है। बड़ी गाड़ियाँ आराम से निकल जाती हैं, लेकिन छोटे वाहन चालकों को भारी चालान भरना पड़ रहा है।”
बलौदाबाजार टोकन सिस्टम का बड़ा खुलासा! पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर उठते सवाल?
- ट्रैफिक पुलिस के लिए नियम सब पर समान क्यों नहीं?
- अगर ट्रैफिक पुलिस की नीयत सही है, तो ओवरलोड वाहनों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही?
- क्या यह वाकई ट्रैफिक सुधारने की मुहिम है, या सिर्फ एक संगठित वसूली रैकेट?
सूत्रों के अनुसार, इस पूरे ‘टोकन सिस्टम’ की जड़ें कई बड़े अधिकारियों तक फैली हुई हैं। कहा जा रहा है कि इससे लाखों की अवैध कमाई हो रही है, और इसके खिलाफ बोलने वालों को दबा दिया जाता है।
क्या होगा अब? कौन लेगा जिम्मेदारी?
इस पूरे मामले पर अब तक किसी भी अधिकारी या जनप्रतिनिधि ने खुलकर बयान नहीं दिया है। लेकिन अब जब यह खबर सामने आ गई है, तो देखना होगा कि—
- क्या प्रशासन इस भ्रष्ट सिस्टम पर कार्रवाई करेगा?
- क्या ओवरलोड ट्रकों पर भी सख्ती होगी, या सिर्फ छोटे वाहन चालकों को ही परेशान किया जाएगा?
- क्या छत्तीसगढ़ पुलिस की छवि को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा?
सवाल बहुत हैं, लेकिन जवाब अभी तक कोई नहीं!
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