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बस्तर के हजारों बस्तर के किसान नहीं बेचते धान, जानिए इसके पीछे की वजह छत्तीसगढ़ अन्न

छत्तीसगढ़ समाचार: छत्तीसगढ़ (छ.ग.) के बस्तर (बस्तर) संभाग में करीब 46 हजार किसान धान बेचने से विनीत रह गए। किसानों का आरोप है कि इस साल भी बिचौलियों द्वारा बड़ी मात्रा में अवैध धान खपाने की वजह से वो अपना धान नहीं बेच पाए। उनकी मांग की है कि बस्तर के सभी किसानों को छूट दी गई है, उनके धान को सरकार समर्थन भुगतान पर प्राप्त हुए हैं। वहीं प्रशासन की ओर से बताया गया कि इस साल के लक्ष्य से करीब 2 लाख टन टन ज्यादा खरीदा गया है। ऐसे में किसान सवाल उठा रहे हैं कि जब बड़ी संख्या में पंजीयन किसानों ने धान शॉर्ट ही नहीं तो लक्ष्य से करीब 2 लाख जोखिम टन से ज्यादा धान की खरीद कैसे हुई?

बस्तर के किसानों का कहना है कि एक नवंबर से धान की शुरुआत हुई है, और 31 जनवरी तक धान को बंद कर दिया गया। इस दौरान इन 3 महीनों के दौरान बारिश की वजह से धान की फिटिंग का समय नहीं पाया गया और कई सरकारी छुट्टियां भी बाधित हुईं। जिसके चलते वो अपना धान खरीद केंद्र तक समय पर नहीं ले जा पाए।

अधिकारियों ने क्या कहा

वहीं विभाग के अधिकारियों का कहना है कि किसानों को शासन की ओर से तीन महीने का पर्याप्त समय दिया गया था। लेकिन इन तीन महीनों के मानकों में जो पंजीयन किसान थे, वो अपना धान बेचने क्यों नहीं पहुंचे ये वो ही बता सकते हैं। लेकिन लगातार किसानों को टोकन दिया गया था, वे सभी के धान प्राप्त हुए हैं। अधिकारियों ने कहा कि सरकार की ओर से धान खरीद की तारीख आगे बढ़ाने के लिए अब तक कोई ऑर्डर विभाग के पास नहीं भेज सकता है। ऐसे में बचे हुए किसानों के धान को नहीं पिया जा रहा है।

किसानों की ये मांग है

वहीं अपना धान बेचने से विनीत हैरान हुए किसान कहते हैं कि इस साल भी संभाग के अलग-अलग फैसले में उड़ीसा और अन्य राज्यों से बड़े मात्रा में बिचौलियों द्वारा अवैध धान खपाया गया है। इसी वजह से विभाग अपने लक्ष्य से दो लाख मैट्रिक टन धान ज्यादा खरीदने की बात कह रहा है, लेकिन इतना ज्यादा धान कैसे उठाया गया इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं है। किसान कहते हैं कि अब उन्हें अपने धान को मजबूर खुले बाजार में काफी कम पर बेचेंगे। इससे उन्हें काफी घाटा होगा।

करोड़ रुपये का अवैध धान ज़ब्त

किसानों का कहना है कि कांग्रेस सरकार हमेशा ये दावा करती है कि वो हमारी सरकार है। ऐसे में वो चाहते हैं कि बचे हुए किसानों के धान समर्थन मूल्य पर पीने के लिए जाएं। वहीं अधिकारियों का कहना है कि विभाग के पास खरीद के पुख्ता रिकॉर्ड हैं और किसानों के आरोप बेबुनियाद हैं। साथ ही प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अवैध धान पर कार्यवाही करने के लिए विशेष टीम बनाई गई थी। कुल 35 मामलों में करोड़ रुपये का अवैध धान ज़ब्त किया गया है।

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