
UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में रह रहे एक पाकिस्तानी मूल के परिवार को बड़ी राहत दी है। शीर्ष अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जब तक उनके पहचान दस्तावेजों की जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई जैसे कि पाकिस्तान वापस भेजना न की जाए।
यह आदेश अहमद तारिक बट और उनके परिवार की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया गया। परिवार का दावा है कि वे कश्मीर में वैध दस्तावेजों के साथ रह रहे हैं, लेकिन हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद उन्हें जबरन अटारी-वाघा सीमा पर पाकिस्तान भेजने की कोशिश की गई।
बेंच में शामिल जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह ने मामले को “मानवीय दृष्टिकोण से बेहद गंभीर” बताया और कहा कि यदि परिवार दस्तावेज सत्यापन के फैसले से असंतुष्ट होता है, तो वे जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं।
गौरतलब है कि 25 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले में 26 लोगों की जान गई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने अधिकतर पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए और देश छोड़ने की समयसीमा तय की। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से स्पष्ट हुआ है कि हर मामला अपने विशेष तथ्यों के आधार पर देखा जाएगा।
इस आदेश के साथ, भारत-पाक संबंधों के तनावपूर्ण माहौल के बीच एक मानवता-आधारित न्यायिक संतुलन की मिसाल भी देखने को मिली है।
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