

एएनआई
शाह ने कहा कि राजनीतिक घटनाओं की किसी भी स्थिति को दूर करने के लिए पीएम के इरादे के अनुरूप, सबसे महत्वपूर्ण इतिहास से छुटकारा पाना है। वीर सावरकर ने पहली बार 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम देश की कोशिश की।
गृह मंत्री अमित शाह ने नई दिल्ली में ‘क्रांतिकारियों’ (भारत ने अपनी स्वतंत्रता कैसे घोषणा की, इसकी दूसरी कहानी) नामक पुस्तक का विमोचन किया। अपने जुड़ते हुए अमित शाह ने कहा कि जिस देश की पीढ़ी को अपनी विरासत पर गर्व नहीं होता, वो कभी देश को महान नहीं बना सकता। उन्होंने कहा कि गुलामी की अवधि में एक अधिकार, परंपरा, मान्यता और सोच को लेकर जिसके कारण वो राजनीतिक गुलामी से मुक्त हो सकते हैं लेकिन देश की सोच को गुलामी से मुक्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि रिवोल्यूशनरी (भारत ने अपनी स्वतंत्रता कैसे प्राप्त की दूसरी कहानी) नाम ही किताब का सारांश है। उन्होंने कहा कि शिक्षा, इतिहास के साथ-साथ अन्य माध्यमों से केवल एक ही दृष्टिकोण का प्रसार किया जाता है।
शाह ने कहा कि राजनीतिक घटनाओं की किसी भी स्थिति को दूर करने के लिए पीएम के इरादे के अनुरूप, सबसे महत्वपूर्ण इतिहास से छुटकारा पाना है। वीर सावरकर ने पहली बार 1857 के विद्रोह को प्रथम स्वतंत्रता संग्राम देश की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इतिहास से कई सारी भ्रांतियां जन्म लेती हैं। परंतु इतिहास हार और जीत के आधार पर नहीं लिखा जा सकता। प्रयासों के भी कई दिशा-निर्देश होते हैं। इतिहास को वास्तविकता के आधार पर लिखना चाहिए। प्रयासों के मूल्यांकन के आधार पर लिखना चाहिए। शाह ने साफ तौर पर कहा कि जब भगत सिंह को अंग्रेजों ने फाँसी दी तो लाहौर से कन्याकुमारी तक के लोगों ने उनकी मृत्यु पर शोक मनाया। मैं केवल भगत सिंह के बारे में बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन हमें यह समझने की जरूरत है कि अगर अंग्रेजों के खिलाफ हिंसक विद्रोह शुरू नहीं हुआ तो आजादी के दशकों की देरी।
भाजपा नेता ने कहा कि हमारे युवाओं के लिए हमारी स्वतंत्रता के इतिहास का मूल्यांकन करने और लिखने के लिए जिम्मेदार लोगों ने गलतियां की हैं क्योंकि वे हमारे दृष्टिकोण को प्रदान करने में परेशान हैं। अंग्रेज तो चले गए लेकिन उनकी वाणी बनी रही और यह किताब भ्रम को दूर करने में मदद करती है। उन्होंने कहा कि क्या हम कम से कम 300 ऐसे लोगों की पहचान नहीं कर सकते हैं जिन्होंने हमारे देश को महान बनाया है? हर बार हमें बताया गया है कि मुगल पहले साम्राज्य थे, लेकिन ऐसा नहीं है! ऐसे ही साम्राज्य हैं जिन्होंने 200 से अधिक वर्षों तक इस देश पर शासन किया है। उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट से चलता हूं कि देश को आजादी में लिखावट का भी बड़ा योगदान है और किसानों का भी। साथ ही हमारे जनजातीय समुदाय के लोगों ने भी देश की आजादी में बड़ी भूमिका निभाई। सबका एक ही लक्ष्य था देश को अंग्रेजों से मुक्त, देश को आजादी देना।
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