कमांडरों के सम्मेलन के दौरान भारत की नौसैनिक शक्ति में अब और तिकड़ी सशस्त्र बलों के बीच तालमेल बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस सम्मेलन में इस क्षेत्र की मौजूदा भू-रणनीतिक स्थिति को देखते हुए आगे की रणनीति भी तय की गई है।
नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है। आज कार्यक्रम के इस बदले स्वरूप में हम बात करेंगे भारतीय नौसेना की जिसके हाल ही में द्विवार्षिक कमांडर सम्मेलन संपन्न हुआ। इस सम्मेलन का आयोजन अरब सागर में देश के पहले स्वदेशी विमान पोत आईएनएस विक्रांत पर किया गया। सम्मेलन में किए गए दस्तावेज़ के बारे में भी आप दावा करते हैं, लेकिन वह पहले बताएं कि सागर में आरोहित भारत के इस विराट विक्रांत पर इस सप्ताह के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज भी सवार हुए थे और उन्होंने देखा कि कैसे भारतीय नौसेना दुनिया की शक्तिशाली नौसेनाओं में शुमार हो गया है। आईएनएस विक्रांत इस सप्ताह मुंबई बंदरगाह के पहले दौरे पर था जहां मीडिया से बातचीत में कमांडर कैप्टन विजयधर हरके ने इस जहाज की शक्तियों का वर्णन करते हुए बताया था कि लगभग 262 मीटर लंबा और 59 मीटर ऊंचा आईएनएस विक्रांत एक निश्चित वायु रक्षा प्रणाली और जहाज रोधी प्रणाली में कमी है। इस पोत पर 30 लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर सिट हो सकते हैं।
द्विवार्षिक कमांडर सम्मेलन की बात करें तो आपको बता दें कि आईएनएस विक्रांत पर भारतीय नौसेना को संदेश देते हुए रक्षा मंत्री संदर्भ सिंह ने कहा कि उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं के साथ ही सीमाओं की कड़ी निगरानी बनाए रखने की आवश्यकता है। देखें तो हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती घटनाओं के बीच रक्षा मंत्री की रिपोर्ट सिंह का यह मानना काफी महत्वपूर्ण है। मुख्य ‘ब्रीफिंग रूम’ में बैठे हुए रक्षा मंत्री ने ”दृढ़ता से डटे रहना” और साहस व समर्पण के साथ राष्ट्रीय मतदाताओं की रक्षा करने के लिए बल की प्रशंसा भी की। टकसाल सिंह ने कहा कि भविष्य के संघर्ष अप्रत्याशित होंगे इसलिए सशस्त्र बलों को उभरती हुई हिस्सेदारी के लिए तैयार रहना होगा। मानक सिंह ने यह भी कहा कि रक्षा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था को बदलेगा। उन्होंने कहा, ”अगले 5-10 वर्षों में, रक्षा क्षेत्र के माध्यम से 100 अरब डॉलर से अधिक के आदेश मिलने की उम्मीद है और देश के आर्थिक विकास में एक प्रमुख दावेदार सामने है।” साथ ही उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है है कि आज भारतीय नौसेना पूरी तरह तैयार है।
हम आपको बताते हैं कि द्विवार्षिक कमांडर कॉन्फ्रेंस को संदेश देने से पहले रक्षा मंत्री दशकों सिंह ने चीफ डिफेंस प्रेसिडेंट (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नेवी चीफ एडमिरल आर. हरि कुमार और नौसेना के अन्य कमांडर के साथ एक व्यापक नौसेना युद्ध अभ्यास का निरीक्षण किया, जिसमें विक्रांत के साथ अन्य युद्धपोत और मिग-29के जेट सहित अन्य कॉम्पिटिटर भी शामिल हुए।
हम आपको यह भी याद दिलाएं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल सितंबर में 40 हजार टन से ज्यादा वजन वाले इस विमानवाहक पोत को भारतीय नौसेना में शामिल किया था। आईएनएस विक्रांत को नौसेना में शामिल करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इसे ‘तैराता हुआ शहर’ करार दिया था। उन्होंने कहा था कि यह पोत रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भर बनने का परिचायक है। इस पोत का लगभग 23 हजार करोड़ रुपये की लागत से निर्माण किया गया है।
दूसरी ओर, कमांडरों के सम्मेलन के दौरान भारत की नौसैनिक शक्ति में रहते हुए और तिकड़ी सशस्त्र बलों के बीच अमजलीकरण बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस सम्मेलन में इस क्षेत्र की मौजूदा भू-रणनीतिक स्थिति को देखते हुए आगे की रणनीति भी तय की गई है। सम्मेलन ने नौसेना कमांडरों के लिए सैन्य एवं रणनीतिक स्तर पर महत्वपूर्ण सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा करने के साथ-साथ एक-एक पहलु के तहत वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से बातचीत करने के एक मंच के रूप में भी सहयोग किया। इस वर्ष के सम्मेलन का प्रतिनिधित्व किया गया था कि कमांडर सम्मेलन का पहला चरण समुद्र में और पहली बार भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत में आयोजित किया गया था।
सम्मेलन में सीडीएस जनरल अनिल चौहान, थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने भी नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की, ताकि सामान्य कार्य वातावरण में तीन सशस्त्र सेवाओं के बीच असमंजस के मुद्दों को प्राथमिकता दी जा सके। इसके अलावा, भारत की रक्षा और राष्ट्रीय योजनाओं को लेकर तीन सशस्त्र बलों के बीच जाम और तत्परता बढ़ाने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा की गई। सम्मेलन के पहले दिन समुद्र में संचालन क्षमता का प्रदर्शन भी किया गया। सम्मेलन के दौरान नौसेना के कमांडरों को अग्निपथ योजना के कार्यान्वयन में अपडेट की गई जानकारी भी बनाई गई। आपको बताएं कि इस योजना के तहत ‘नौसेना अग्निवीरों’ का पहला जोर मार्च के अंत में आईएनएस चिल्का से पास होने वाला है। इस मामले में महिला जवान भी शामिल हैं। इसके अलावा नौसेना कमांडरों ने समुद्री क्षेत्र में भारत के सामने आने पर भी हिस्सेदारी पर भी विचार किया।