
राजस्थान राजनीति: साल 2022 में राजस्थान के अशोक गहलोत के पांच ‘खास’ ने सीएम को खूब ‘टेंशन’ दिया। इन पांचों ने सरकार की प्रमुख सीएम गहलोत पर ही खूब हमला किया। इन समान फ्रैंक ने बोला और सरकार से ज्यादा आर्टिकल्स कोघोटा। लेकिन अब ये सब चुप चाप नजर आ रहे हैं। क्या नए साल में कहीं भी पार्टी के बदले तेवर का यह तो असर नहीं है या उन्हें अब अपने चुनाव की चिंता सता रही है।
दरअसल, पिछले दिनों भारत जुड़ने के बाद से ये विधायक चुप हैं। हालांकि, उनकी चुप्पी से भी खलबली मची है। आख़िर ये पांचों चुप क्यों हैं? ये पांचों विधायक हरीश चौधरी, दिव्या मदेरणा, राजेंद्र सिंह गुढ़ा, बलजीत यादव और राजेंद्र यादव कभी गहलोत के बेहद खास हुए थे। लेकिन साल 2022 में नाराज हो गए और अब चुप हो गए हैं।
स्पॉट की तलाश में ग्रीनश चौधरी
बायतु विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री ग्रीनश चौधरी बस स्थलों की तलाश में हैं। अशोक गहलोत के लिए सबसे बड़ी ‘मुसीबत’ ग्रीनश चौधरी खाने की थी। ओबीसी तथ्यों को लेकर ग्रीनश ने अशोक गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। हरीश ने आंदोलन भी किया था। इसका असर भी दिखाई दे रहा था। उन दिनों बड़ी मुश्किल से सरकार ने अपना बचाव किया था। हरीश चौधरी अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। खास से अचानक बगावती होने पर गहलोत के आलावा भी लोग हरीश को समझ नहीं पाए। मगर अभी हरेश ने मौन साध लिया है।
दिव्या को चुनाव की ‘चिंता’ और गुढ़ा भी चिंतनशील
जोधपुर के विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने पहले तो विधानसभा में सरकार को कई बार घेरा लेकिन 25 सितंबर की घटना के बाद दिव्या ने तो फ्रैंक अशोक गहलोत के खिलाफ बोलना शुरू कर दिया था। दिव्या ने लगातार सोशल मीडिया पर ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ा जब उन्होंने सीएम गहलोत को न घेरा। मगर अब दिव्या की चुप्पी बहुत कुछ कह रही है।
वहीं अशोक गहलोत के खास मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने अशोक गहलोत के खिलाफ खूब बातें कीं। गुढा अभी भी बोल रहे हैं लेकिन उन्हें चुनाव की चिंता है। गुढ़ा ने माफ़ किए गए लोगों का एक बार फिर से गहलोत को कटघरे में खड़ा कर दिया है। लेकिन राजेंद्र सिंह गुढ़ा अब चुनाव को लेकर चिंतित है। ऐसा कब तक माहौल बनेगा कुछ नहीं कहा जा सकता है।
यादव ‘बंधु’ भी दिख रहे हैं चुप
कोटपूतली जिला नहीं बना तो मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देने की घोषणा करने वाले मंत्री राजेंद्र यादव ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। जबकि राजेंद्र यादव को गहलोत का सबसे खास विधायक माना जाता है। ऐसे में जब राजेंद्र यादव ने अपना तेवर दिखाया तो सरकार भी आ गई।
हालांकि, राजेंद्र यादव अभी चुप हैं लेकिन कोटपूतली जिला नहीं बना है तो क्या एक बार फिर मंत्री राजेंद्र यादव फिर अपना तेवर दिखाएंगे? वहीं अलवर जिले की बहरोड़ सीट से निर्दलीय विधायक बलजीत यादव ने भी गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोला था. उन्होंने बहरोड़ को जिला बनाने का अल्टीमेटम भी दिया था। सरकार को ईंट से लकीर देने की धमकी भी दी गई थी। हालांकि अभी सरकार और सीएम गहलोत के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं। ये शांति का दिन देखेंगे यह भी कहना पाना मुश्किल है।
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