मुंबईः आदिपुरुषों को लेकर कई दर्शक ही नहीं कई बड़े कलाकार भी ओम दिग्गज (ओम राउत), मनोज मुंतशिर शुक्ला और फिल्म के कलाकार नाराज चल रहे हैं। हर तरफ फिल्म को बैन करने की मांग उठ रही है। कई जगह तो फिल्म पर बैन का भुगतान भी किया जा चुका है। फिल्म में कलाकार के लुक, डायलॉग और वीएफएक्स जनता को पसंद नहीं आ रहे हैं। लोगों का गुस्सा देखते ही देखते ओम यूनिवर्सल ने फिल्म के उपकरण-विकल्प में बदलाव कर दिया, लेकिन इसके बाद भी जनता शांत नहीं हुई। दूसरी तरफ इस पर अब ‘महाभारत’ के ‘युधिष्ठिर’ गजेंद्र चौहान ने भी अपना ओलोप्लास्ट कर दिया है।
गजेंद्र चौहान का मानना है कि इस तरह की फिल्में लोगों की भावनाओं का मजाक उड़ाती हैं। आदिपुरुषों की राइटिंग पर भी गजेंद्र चौहान ने सवाल पूछे हैं। आजतक से बातचीत में गजेंद्र ने फिल्म को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी और मूल्यांकन किया और फिल्म के राइटर को अपनी साक्ष्यों के साथ लेकर आए।
गजेंद्र चौहान कहते हैं- ‘सबसे पहले तो मैं ये कहना चाहता हूं कि रामायण और महाभारत जैसी महाकाव्य की कहानियां हमारे संस्कार और सभ्यता से जुड़ी हुई हैं। इस तरह से उनके साथ किसी को भी नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. रामायण और महाभारत देखने की चीज नहीं है, ये सीखने की चीज है। हम अपनी आने वाली जनरेशन को ये विरासत के तौर पर बताते हैं। ये तो हमारे देश की खड़िया है, जिसका रखरखाव करना चाहिए। इससे कभी कोई गलत संदेश नहीं जाना चाहिए।’
टिकट के बाद भी नहीं देखी फिल्म
गजेंद्र आगे कहते हैं- ‘मैंने इस फिल्म को देखने के लिए टिकट बुक कर ली थी, लेकिन फिर पता नहीं चला कि मेरी आत्मा गवारा क्यों नहीं कर रही कि मैं ये फिल्म थिएटर का बिजनेसमैन देखूं। असल में, मैंने जो भी टेलीकॉम और छोटी-मोटी क्लिप देखी है, वो सब देखने के बाद मुझे पता चला कि ये फिल्म यूज़ की गई है न कि इसे प्रोड्यूसर्स में देखा जाए। मैं अपनी सहमति को समाप्त नहीं कर सकता। मैं प्रभु श्री राम के रूप में ही देखना चाहता हूं।’
‘मुझे तो लगता है कि इस फिल्म के पीछे कोई गहरी साजिश है। वो आने वाली हमारी वाली पीढ़ी को बर्बाद करना चाहते हैं। मैं कृष्ण जी से कहता हूं कि मैं चाहता हूं कि जैसे उनके पिता ने लेगेसी का सहारा लिया था, वैसे ही उन्हें भी धार्मिक भावनाओं का उपदेश देना चाहिए। आने वाले समय में ऐसे नी को बिल्कुल बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।’
सभी सजा के पात्र हैं
बैलून में सुधार पर गजेंद्र चौहान ने कहा- ‘धनुष से तीर छूट गया, जो डैमेज हो गया था। अब वो कुछ भी कर लें, कोई फ़ायदा नहीं होगा। लोगों ने आदिपुरुषों को तो सजा दे ही दी है, ये भी सजा के पात्र हैं। उन्हें सज़ा तो मिलनी ही चाहिए. बल्कि सेंसर बोर्ड के डिसिजन पर भी सवाल उठाए जाने चाहिए। मनोज मुंतशिर ने अज्ञानता का परिचय दिया है। उन्हें कोई नॉलेज नहीं है. वो एक संगीतकार हैं, संवाद लेखन नीचे दिए गए हैं। जो राइटर, वक्ता के वीडियो सोशल मीडिया पर मौजूद हैं वे वोलौग इंकलाब फिल्म में शामिल हैं। कुमार विश्वास का डायलॉग है ना ‘तेरी लंका लगा बोर्ड।’ उन्होंने कहा कि उन्होंने ऐसा पेश किया है कि सब कुछ उन्होंने ही लिखा है। वो जिद पर अड़े गए हैं. यह दुर्व्यवहार किसी कलाकार के लिए अच्छा नहीं है।’
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पहले प्रकाशित : 23 जून, 2023, 08:58 IST