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पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले गिरी और अब सरकार गिरेगी बिलावल भुट्टो ने शहबाज को दी चेतावनी/पहले छवि पाकिस्तान की उद्योग और अब गिरेगी सरकार!…जानें शहबाज को किसने लाचार किया?

छवि स्रोत: एपी
शाहबाज शरीफ, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री

नई दिल्लीः पाकिस्तान में सबसे पहले ही उद्योग जगत के तेवर-नहस होने और कमर तोड़ ने हाहाकार मचा रखा है। लोग भुखमरी और गरीबी से मरने को मजबूर हैं। अब इस देश के ऊपर राजनीतिक संकट भी छाने लगा है। पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री नवाज सरफराज की घबराहट में घबराहट हुई है। मगर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पाकिस्तान में सरकार गिरने की नौबत आ गई?…आखिर कौन शाहबाज शरीफ की कुरसी के पीछे पड़ गया। अगर आप रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का नाम सोच रहे होंगे तो यह सच नहीं है। अब अंदाजा लगाइए कि इमरान से बड़े दुश्मन शहबाज शरीफ का फाइनल कौन बन गया है, जो उनकी सरकार छोड़ना चाहता है। आइए अब हम आपको बताते हैं कि पीएम शहबाज शरीफ को किससे यह खतरा पैदा हुआ है?



दरअसल पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) की मौजूदा संबद्ध गठबंधन सरकार के प्रमुख घटक पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने धमकी दी है कि अगर सरकार एक फेयर डिजिटल एससीओ आयोजित नहीं करती है और सिंध प्रांत की बाढ़ मांगों को राहत देने का अपना वादा पूरा नहीं करती है करती है तो वह संघीय सरकार से अलग हो जाएगी। पीपीपी नेता और मौजूदा विदेशी बिलावल भुट्टो-जरादारी ने कहा है कि उनकी पार्टी के लिए गठबंधन सरकार के हिस्से के रूप में अपनी स्थिति को बनाए रखना बहुत मुश्किल होगा, क्योंकि कई अधिकार वाले मंत्री बाकी हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह से डिजिटल जनगणना की कवायद की जा रही है, उस पर कई आपत्तियां हैं। बिलावल ने कहा कि यह काम कर रहा है कि एक प्रांत में पिछली जनगणना के आंकड़ों के आधार पर चुनाव की जांच करेंगे। जबकि अन्य प्रांतों में चुनाव डिजिटल गणना के बाद रूपरेखा देखेंगे, जिसमें आपके कई खामियां हैं।

वादों पर खरी नहीं उतरी शाहबाज सरकार
बिलावल भुट्टो ने पीएम शाहबाज शरीफ की सरकार को उनकी वादों की याद दिलाते हुए कहा कि उनकी पार्टी का नेतृत्व राष्ट्रीय सभा में सरकार के साथ इस मामले को को पेश करेंगे और वह प्रधानमंत्री से बात करेंगे। उनसे बाढ़ प्रभावित होने के लिए राहत सहायता के अपने वादों को पूरा करने के लिए कहें। प्रांत के लिए बाढ़ राहत के विवरण के अनुसार सब्सिडी योजना के माध्यम से प्रभावित किसानों को राहत प्रदान करने के लिए कम से कम 13.5 अरब पीकेआर की आवश्यकता है। पीपीपी की सिंघ प्रांतीय सरकार और संघीय सरकार के बीच यह निर्णय लिया गया कि कम से कम 4.7 अरब पीकेआर अनुदान संघीय सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा, जबकि शेष 8.3 अरब पीकेआर सिंध सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा।

डिजिटल जनगणना को लेकर भी अजनबी
बिलावल ने पूछा, “डिजिटल जनगणना ऐसे समय में की जा रही है जब आम चुनावों की उम्मीद कर रहे हैं। यह कैसे उचित है कि एक प्रांतीय विधानसभा के चुनाव 2018 की जनगणना के आधार पर आयोजित किए जाएंगे, जबकि अन्य डिजिटल जनगणना के आधार पर ?” बिलावल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा (केपी) प्रांतों में 30 अप्रैल तक चुनाव के फैसले का जिक्र कर रहे थे, जब पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में समय से पहले आम चुनाव के लिए संघीय सरकार पर दबाव बनाने के लिए दोनों ने अपनी विधानसभाओं को भंग कर दिया था। पीपीपी इस बात पर जोर देती है कि आम चुनाव से पहले देश भर में जनगणना की जाती है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जनगणना पूरी होने और प्रत्येक प्रांत की आबादी के अनुसार निर्वाचन क्षेत्रों के नए वितरण के बाद देश में चुनाव एक संगठित किया जाना चाहिए। अलग होने की पार्टी की धमकी को शाहबाज शरीफ सरकार के लिए एक गंभीर चुनौती माना जा रहा है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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