
कंगाल पाकिस्तान का होगा आतंकवाद परम, जानिए इसके पीछे क्या है चीन का कनेक्शन!
पाकिस्तान कीखबरें: कंगाल पाकिस्तान में जनता भूख से मर रही है। अल्प के लिए विवरण में लोग लंबे कॉन्ट्रो में लगकर परेशान हैं। भूख से मर रहे लोग रमजान के महीने में गैस की आपूर्ति भी ठीक से नहीं हो पा रही है। उसी समय सरकार का खाता खाली हो गया है। ऐसे में पाकिस्तान चाहता है कि वह आतंकवाद पर कब्जा जमाने वाली दुनिया को अपने ‘भले’ होने का संकेत दे। जबकि सच यही है कि पाकिस्तान ने खुद ही आतंकवाद को पाला पोसा। इसी बीच पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई। इस मुलाकात से वह यह संदेश देना चाहते हैं कि पाकिस्तान में सब ‘गुडी गुडी’ हो रहे हैं। हालांकि पाकिस्तान से जीना का देश परेशान है। हाल के दिनों में पाकिस्तान के बंदियों ने कई बड़े हमले किए, जिसने पाकिस्तान की सरकार की नाक में दम कर दिया।
इन सबके बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की अहम बैठक बुलाई। पहले देश में आतंकवाद के सभी रूपों को खत्म करने के लिए व्यापक अभियान चलाने का फैसला किया है। राष्ट्रीय विशेषाधिकार परिषद एनएससी की 41वीं बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री शाहबाज ने की। जिसमें कैबिनेट मंत्री, सेवारत प्रमुख, इंटेलीजेंस प्रमुख और अन्य अहम जंप और सैन्य अधिकारी शामिल हुए। प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को कहा कि ‘बैठक में पूरे देश और सरकार के समर्थन से व्यापक अभियान शुरू करने का फैसला किया गया जो नए जोश और संकल्प के साथ देश को आतंकवाद की समस्या से आकर्षित करेगा।
बैठक में हुई पाकिस्तान पर अधिकार करने की बात, अफगानिस्तान की ओर इशारा
एक आधिकारिक मान्यता के अनुसार, एनएससी ने प्रतिरोधी, प्रतिबंधित संगठन तहरीके कब्जे पाकिस्तान से जुड़े हुए अधिकारों पर भी व्यापार की। इसमें कहा गया है कि ‘अज्ञात का खतरा बढ़ गया है। विशेष रूप से प्रतिबंधित संगठन तहरीक.ए.तालिबान पाकिस्तान से जुड़े हुए लोगों द्वारा दायित्व पर विस्तार से चर्चा की। अफगानिस्तान में बड़ी संख्या में विभिन्न आतंकवादी संगठन मौजूद हैं, जिनके समर्थन से पाकिस्तान प्रभावित हो रहा है।
चीन ने एससीओ स्मिट में पाकिस्तान को आतंकवाद पर आने की बात कहने की बात कही थी
दरअसल, पाकिस्तान चीन के इशारों पर नाचता है। क्योंकि चीन से उसने काफी ऋण लिया है। पिछले दिनों भारत में हुई एससीओ स्मिट में चीन ने आतंकवाद पर शक करने की बात कही थी। जिस एससीओ की बैठक को चीन संदेश दे रहा था, उस बैठक में आतंकवाद का पनाहगाह पाकिस्तान भी शामिल था। चीन ने शंघाई सहयोग संगठन, ओ के सदस्य देशों कोतौर पर बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करने, आतंकवादी ताकतों से सख्ती से समझौता और सभी देशों की आर्थिक श्रेष्ठता और सामाजिक स्थिरता के लिए संयुक्त रूप से एक मजबूत सुरक्षित वातावरण बनाने का काम किया । चीन का स्पष्ट संदेश पाकिस्तान की ओर भी था।
आतंकवाद पर रोक लगाने पर चीन ने जोर दिया था, उस बैठक में पाक भी शामिल था
ओएससी स्मिट मने चीन ने कहा था कि यह महत्वपूर्ण है कि एससीओ के सदस्य देश बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को दूर करें और प्रश्नों को सहयोग के माध्यम से सुलझाएं। चीन ने अपने सदस्यों देशों आतंकवाद, आरोपवाद और उग्रवाद की ताकतों को पूरी तरह से रोकने और समझौते के लिए कहा और दूरसंचार और इंटरनेट धोखाधड़ी, ऑनलाइन जुआ और विही पदार्थ के तस्कर जैसे अंतरराष्ट्रीय अपराध से समझौते के लिए सहयोग को मजबूत करने की कोशिश की है। बात कह रही थी। पाकिस्तान पर दबाव था कि वह अपने देश में आतंकवाद पर लगाम कसे। इसके चलते पीएम शाहबाज सरफराज ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई।
टेरर फंडिंग के कारण 4 साल की एफएटीए की ग्रे लिस्ट में काफी नुकसान हुआ
पाकिस्तान आतंकवाद फैलाने के कारण काली सूची में हमेशा जाने का डर था। वहीं पाकिस्तान को जून 2018 में ग्रे लिस्ट में शामिल किया गया था। उस पर मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और कमजोर कानून बनाने के आरोप लगे। एफएटीएफ ने कहा था कि पाकिस्तान की वजह से ग्लोबल फाइनेंशियल सिस्टम डैमेज हो सकते हैं। इसके 4 साल बाद तक वह ग्रे लिस्ट में शामिल हो गया था। अक्टूबर 20022 में उसकी ग्रे सूची निकली। ग्रे लिस्ट में यदि किसी देश का नाम आ रहा है तो उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परेशानी होने लगती है। इसी समस्या से पाकिस्तान लंबे समय तक जूझ रहा है। पाकिस्तान जब कांगाली की हालत में है, ऐसे में वह नहीं चाहता कि अब एफएटीए की फाइल ग्रे लिस्ट में फिर उसका नाम शामिल हो जाए।
आतंकवाद पर तुष्टिकरण की नीति अपनी, अब वही निश्चित ‘भस्मासुर’ बने
हालांकि सच तो यही है कि पाकिस्तान ने खुद को ऐसे सर्वे को पाला पोसा कहा है। इन अनिश्चितता का भारत के खिलाफ भी करने का उसका हमेशा से मंशा रहा और ऐसा भी किया। लेकिन अब यही आतंकवादी उस पर भस्मासुर का अधिकार कर रहे हैं। भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान में अब खुद आतंकवाद का खतरा बढ़ गया है। दरअसल, भारत पर आतंकवादी हमले करने की हमेशा से सोच रखने वाले पाकिस्तान ने एजेंसियों के खिलाफ तुष्टिकरण की नीति अपनाई, जिस कारण ये पहले फले फुले, अब यही पाकिस्तान के लिए नासूर बन रहे हैं।
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