
आयुर्वेद में सबसे अधिक जिस हर्ब का प्रयोग होता है, वह है त्रिफला चूर्ण। यह कई प्रकार की जड़ी-बूटियों से मिल कर तैयार होता है। यह कई प्रकार के कथनों को दूर कर शरीर को स्वस्थ बनाता है। इसलिए आयुर्वेद में सबसे अधिक त्रिफला चूर्ण का ही प्रयोग होता है। इस चूर्ण पर सबसे अधिक शोध किए जा रहे हैं। इसे घर पर भी बनाया जा सकता है। इस लेख में जानते हैं त्रिफला के फायदे और घर पर तैयार करने की विधि (How to Make Triphala Churna) के बारे में।
त्रिफला के बारे में क्या कहते हैं वैज्ञानिक शोध(research on Triphala)
वर्ष 2017 में केलिफोर्निया के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर रिसर्चिंग एंड ट्रेनिंग इन एंगेटिव हेल्थ के क्रिस्टीन स्टार पीटरसन और आयुर्वेद और योग अनुसंधान विभाग (चोपड़ा फाउंडेशन), कार्ल्सबैड के दीपक चोपड़ा ने त्रिफला चूर्ण के उपयोग पर ध्यान दिया। इसकी जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लिमेंट्री मेडिसिन जर्नल और पबमेड सेंट्रल में भी जगह दी गई।
त्रिफला चूर्ण के तत्व (Triphala पोषक तत्व)
त्रिफला चूर्ण को पॉली हर्बल (Poly Herbal) भी कहा जाता है। इसमें आंवला (Emblica Officinalis), बहेड़ा (Terminalia Bellirica) और हरीतकी (Terminalia chebula) को शामिल किया जाता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, आहार फाइबर के अलावा कई सर्वशक्तिमान गैलिक एसिड, चेबुलजिक एसिड और चेबुलिनिक एसिड भी पाए जाते हैं।
बायोएक्टिव फ्लेवोनोइड्स जैसे कि क्वेरसेटिन और ल्यूटोलिन, सैपोनिन्स, एंथ्राक्विनोन, स्वीकृत एसिड, काफी एसिड भी पाए जाते हैं। इसमें जहरी, एंटी-इंफ्लेमेटरी, हाइपरएसिडिटी में कमी, एंटीपायरेटिक, एनाल्जेसिक, एंटी एलर्जी, एंटीमुटाजेनिक गुण पाए जाते हैं। इसमें हाइपोग्लाइसेमिक, एंटीकैंसर, हेपेटोप्रोटेक्टिव, केमोप्रोटेक्टिव, रेडियोप्रोटेक्टिव भी पाए जाते हैं।
अब जानिए कितना लाभ है त्रिफला चूर्ण
1 फोकसइंटेस्टाइनल पहले से राहत देता है(गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं के लिए त्रिफला)
त्रिफला भोजन के उचित पाचन और अवशोषण को भी बढ़ावा दे सकता है। सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम कर सकता है। परिसंचरण में सुधार कर सकते हैं। पित्त वाहिकाओं को आराम कर सकते हैं। यह होमियोस्टैसिस बनाए रख सकता है। त्रिफला स्काइडइंटेस्टाइनल स्वास्थ्य में उपयोग के लिए सबसे प्रसिद्ध है। त्रिफला के संबंध और फ़ैक्टरी-आधारित दोनों अर्क निर्णय को दर्शाते हैं।
इस अनुसंधान में 11 लोगों पर आंवला के क्लिनिकल प्रभाव की जांच की गई। इससे उपचार से कब्ज कम हो गया, म्यूकस, पेट में दर्द, हाइपरएसिडिटी और पेट फूलने जैसी स्थिति में सुधार हो गया।
2 तनाव कम करता है त्रिफला का चूर्ण (तनाव के लिए त्रिफला)
एनिमेशन से पता चला है कि त्रिफला ठंड से प्रेरित तनाव से बर्ताव करता है। तनाव से प्रेरित व्यवहार परिवर्तन और जैव रासायनिक परिवर्तन जैसे कि लिपिड पेरोक्सीडेशन और कॉर्टिकोस्टेरॉन के स्तर में वृद्धि करता है। इसके गुण तनाव को कम करने में सक्षम हैं।
3 फलों में भी लाभ है (मधुमेह के लिए त्रिफला)
एक पशु विश्लेषण में, त्रिफला को 10 सप्ताह के लिए असंबद्धता से ग्रस्त चहुंओर दिया गया। इससे शरीर में वसा का संचयन, वजन कम हुआ। इससे कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स और कम घनत्व वाले लिपो प्रोटीन कोलेस्ट्रॉल भी कम हो गए। शुगर की दवा के साथ त्रिफला का सेवन फास्टिंग ब्लड शुगर और फास्टिंग ईमेल जैसरीन का स्तर भी कम हो गया।

वैश्विक मोटापा महामारी को देखते हुए, संबंधित स्वास्थ्य संबंधी बोझ को कम करने के लिए अधिक उपचार विकल्प आवश्यक हैं।
4 त्रिफला और हृदय स्वास्थ्य (त्रिफला हृदय स्वास्थ्य के लिए)
इस अध्ययन में त्रिफला के हाइपरकोलेस्टेरेमिक और हाइपोलिपिडेमिक प्रभावों की सूचना दी गई। ट्राइफला ग्राइंडरइंटेस्टाइनल संपर्क और हृदय प्रणाली में प्रवेश को दूर करने के लिए संबंधित हर्ब बूटी को हटा दिया गया। हालांकि इसके और अधिक व्यापक अध्ययन किए जाने चाहिए।
इस विधि से आप भी घर पर त्रिफला चूर्ण बना सकते हैं
आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. केशव चौहान के हस्ताक्षर हैं, ‘त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए तीन तरह की जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है। ये हैं हरड़, बहेड़ा और आंवला।
इसे बनाने के लिए 1 भाग हरड़, 2 भाग बहड़ा और 3 भाग आंवला लें।
2 चूर्ण बनाने के लिए यह जरूरी है कि इन तीनों को खूब सुखाया जाए।
3 आने के बाद आप आसानी से ये मौजूद गुठली को निकाल कर अलग कर सकते हैं।

4 अब ये तीन सामग्री चूर्ण बनने के लिए तैयार हैं। अब इन तीनों को मिलाकर उसका चूर्ण बना लें।
5 संघ आपका त्रिफला चूर्ण तैयार हो गया है। इस चूर्ण को एयरटाइट कंटेनर में रख लें।
6 रोज रात में सोने से पहले गुनगुने पानी के साथ 1 चम्मच त्रिफला चूर्ण लें।
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