अश्विनी उपाध्याय ने सवाल उठाया कि क्या हमारे धर्मगुरु अमेरिका-अरब वहां जाकर वहां के मूल निवासियों का मतांतरण कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि मतांतरण के खिलाफ कठोर केंद्रीय कानून वाले साम बांध दंड भेद द्वारा आरोपित मिशनरियों, पादरियों और मौलवियों को जेल में डालना चाहिए।
नमस्कार, प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम जन गण मन में आप सभी का स्वागत है। आज के कार्यक्रम में बात करेंगे कि ज्वलंत विषय की तरह चित्रण करें। धर्मांतरण के बढ़ते मामले को एक विकराल समस्या के रूप में जाना जा रहा है जिसे देखते हुए अब धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस मामले में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी आया जिस पर कोर्ट ने धर्मांतरण को मुख्य गंभीर याचिकाएं कहा कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। देश के शीर्ष वरिष्ठ वकील और याचिकाकर्ता पुरुष के रूप में विख्यात अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में छल पूर्ण धर्म परिवर्तन को नियंत्रण करने के लिए केंद्र और राज्य को उठाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा है कि जबरन धर्म एक राष्ट्रव्यापी समस्या है, किसी के समझौते की आवश्यकता है। उनकी याचिका में विधि आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने के साथ-साथ एक प्रस्ताव तैयार करने का भी निर्देश दिया गया है, ताकि याचिका दायर करने और भ्रष्टाचार के प्रलोभन से संबंधित धर्मांतरण को नियंत्रित किया जा सके। इस मामले में अगली सात सुनवाई फरवरी को होगी।
हम आपको बताते हैं कि इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छलपूर्ण धर्म संशोधन बहुत ही गंभीर मामला है। वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस तरह के धर्मांतरण को राष्ट्रहित से आर्इआरजी को बताया मामला और कहा कि सरकार इसे ग्रेविटास से ले रही है। अब देखना होगा कि अगली सुनवाई पर इस मामले में क्या होता है। अभी इस पूरे विषय पर जब हमने अश्विनी उपाध्याय से बात की तो उन्होंने कहा कि एक कठोर और प्रभावी धर्म परिवर्तन नियंत्रण केंद्रीय कानून की मांग करने वाली जनहित याचिका का विरोध करने के लिए तमिलनाडु सरकार सर्वोच्च न्यायालय आ गई है लेकिन अभी तक कोई भी राज्य धर्म परिवर्तन नियंत्रण के लिए पक्ष में सुप्रीम कोर्ट नहीं आई है। उन्होंने कहा कि धर्म का रूपांतरण राष्ट्रांतर नहीं हो रहा है और घटिया कानून और एलियन फंडिग के मूल कारण हैं।
उन्होंने कहा कि संपत्ति को से लिंक करना, कालाधान बेनामी संपत्ति और आय से अधिक संपत्ति 100% ज़ब्त करना और धर्मांतरण करने वालों को 10-20 साल की सजा देने के लिए कानून के आधार पर नितांत आवश्यक है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या हमारे धर्मगुरु अमेरिका-अरब वहां के मूल निवासियों का रूपांतरण कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि सरकार को बदलना के खिलाफ कठोर केंद्रीय कानून वाले साम दाम दंड भेद द्वारा वैकल्पिक रूप से कहे जाने वाले मिशनरियों, पादरियों और मौलवियों को जेल में डालना चाहिए।
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