

सीमा पर आक्रामक रूख दिखा रहे हैं चीन के साथ व्यापार संबंध को तोड़कर के प्रतीक के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगढ़िया ने कहा कि मौजूदा स्थिति में बीजिंग के साथ व्यापार संबंध को खत्म करने का मतलब भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रतीक होगा। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही भारत को अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय संघ सहित अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते करने का प्रयास करना चाहिए। पनगढ़िया ने कहा, इस स्थिति में चीन के साथ सौदेबाजी छेड़ने का मतलब होगा कि हम शुद्ध रूप से आर्थिक आधार पर, के साथ समझौता करेंगे। इसकी (सीमा पर तनाव) प्रतिक्रिया में कार्रवाई करना संभव नहीं होगा।
अमेरिका की नीति भी सफल नहीं रही
कोलंबिया विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्री पनगढ़िया ने कहा कि दोनों देश व्यापार प्रतिबंध जैसे कदम उठा सकते हैं लेकिन 17000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (चीन) में, 3000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था (भारत) को नुकसान पहुंचाने की क्षमता कहीं अधिक होगी। उन्होंने कहा कि अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था भी चीन या रूस पर प्रतिबंध किसी भी हद तक सफल नहीं हो सकती है।
उद्योग को बड़ा करने पर जोर दिया जाना चाहिए
पनगढ़िया ने कहा, हमें अगले दशक के लिए भारत की वृद्धि की शानदार संभावनाओं का लाभ बढ़ी हुई उद्योग को इतना अधिक संभव हो उतना बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए। एक बार हम तीसरी सबसे बड़ी उद्योग बन जाएंगे तो हमारी पाबंदियों का भी असर पड़ेगा।



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