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कर्तव्यपथ : अमृतकाल में नारी के नेतृत्व में विकास की ओर बढ़ता भारत

संसद में महिलाओं का नेतृत्व बढ़ा है। 2019 के आम चुनाव में पहली बार रिकॉर्ड 78 महिलाएं सांसद चुनी गई हैं तो पंचायती राज व्यवस्था में बड़ी भागीदारी की वजह से 46% महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अगर मुस्लिम महिलाओं की बात करें तो सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए तीन तलाक खत्म किए।

भारत अपने काल अमृत की ओर ग्रंथियां है। अमृत ​​का लमें नारी शक्ति का उदय हो, इसके लिए शक्तिकरण की यात्रा को तेजी से बढ़ती मांग है। केंद्र सरकार का मानना ​​है कि नारी शक्ति के प्रति सम्मान के साथ नी सोच का उद्देश्य वास्तविक हो, जिसे हर स्तर, हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी और नेतृत्व सुनिश्चित करने के लिए उपयोग में लाया जा सके। स्वर्णिम वर्ष की ओर आगे बढ़ने से भारत में नारी शक्ति, नीति, निष्ठा, निर्णय शक्ति और नेतृत्व का प्रतिबिंब बना है क्योंकि वेदों और भारतीय परंपरा ने भी यही कहा है कि नारी सक्षम हो, समर्थ हो और राष्ट्र को दिशा दे। आज के नए भारत की नारी का प्रतिबिंब है। पहली से लेकर आज तक भारत की नौकरशाही के पीछे महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है।

अमृत ​​​​काल की शुरुआत के पहले अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का महत्व बढ़ गया है क्योंकि समान राष्ट्र-समाज प्रगति कर सकती है जो महिलाओं का सम्मान करती है। अब दुनिया तीन दिन बाद यानी आठ मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगी तो आजादी के स्वर्णिम वर्ष की ओर आगे बढ़ें भारत में महिला शक्ति की आकांक्षाओं को सरकार की योजनाएं कई से मिल रही हैं..

गर्भावस्था से सक्षम

केंद्र सरकार की प्रधान मंत्री मां वंदना योजना के तहत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं के खर्चों में नकद हस्तांतरण से प्रोतसाहित करती है। पहला बच्चा होने पर दो किश्तों में 5,000 रुपये दूसरी बच्ची होने पर 6,000 रुपये की सहायता दी जाती है। इस योजना का अब तक 2.8 करोड़ महिलाओं को लाभ मिला है। सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 में सवेतन पारिवारिक छुट्टी को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।

नवजात व बचपन-केन्द्र सरकार के मिशन पोषण 2.0 में 6 साल से कम उम्र के सभी बच्चों, प्रेग्नेंसी महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को सुविधा मिलती है। इस योजना के तहत अब तक पीएम नरेंद्र में 12.5 करोड़ बच्चों को लाभ मिला है। इसके तहत ही 100% पूर्ण एकीकृत चावल वितरण करने का निर्णय लिया गया है।

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ- कन्या के जन्म का उत्सव मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर बेटों की तरह गर्व होना चाहिए। ये कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का और उनका यह अभियान लोगों के माध्यम से लोगों के मन में नया बदला जा रहा है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2014-15 में जन्म के समय लिंगानुपात 918 था जो 2021-22 में 16 प्वाइंट के सुधार के साथ 934 पर पहुंचा है। इसके अलावा, सरकार ने स्कूलों में भी लड़कियों के अनुपात में असफलता पाई है। माध्यमिक स्तर पर स्कूलों में लड़कियों का नामांकन अनुपात भी 2014-15 में 75.51% से बढ़कर 79.4% पर रिपोर्ट है।

सरकार ने बेटियों के जन्म से पढ़ाई तक की योजना बनाई है, जिसमें सुकन्या समृद्धि भी शामिल है। इसके तहत देश भर में 2.70 करोड़ से अधिक सुकन्या के खाते को देखा जा सकता है। फरवरी के पहले पखवाड़े के दो दिन में डाक विभाग ने 10.87 लाख सुकन्या खाते खोले। इसी के साथ 19,500 से अधिक गांवों को ‘संपूर्ण सुकन्या ग्राम’ घोषित किया गया है।

सरकारी महिलाओं और लड़कियों को पढ़ने के लिए भी नए अवसर मिल रहे हैं, जिनके लिए इनोवेशन-रिसर्च में भी काम किया जा रहा है। सरकार ने 16 महिला प्रौद्योगिकी पार्क बनाए हैं जो नवाचार और विज्ञान को सीखने के लिए महिलाओं को नए अवसर दे रहे हैं। इस क्षेत्र में महिला वैज्ञानिकों के लिए किरणें छात्रवृत्ति साबित हुई हैं। इसी के साथ सरकार ने शिक्षा ऋण में आसानी के लिए 15 अगस्त, 2015 को विद्या लक्ष्मी पोर्टल की शुरुआत की थी ताकि बेटियों की पढ़ाई में रोड़ा ना बन सके।

ड्रॉपआउट की संख्या कम हुई है

स्कूलों में लड़कियों के नामांकन अनुपात में 33% की वृद्धि हुई है। इसके अलावा अगर दूरस्थ शिक्षा के मामले में भी 100 पुरुषों के लॉग में 130, एमफिल में 109, फाइल में 122, लाइटिंग में 104 और इंटिग्रेट कोर्स में 376 महिलाएं शामिल हैं।

रोजगार में मिला विवरण-सेंटर सकार ने वर्ष 2016 में सीआरपीएफ, सीआईएसएफ में सिपाही पद की भर्ती में 33% महिला विवरण की सुविधा को अनिवार्य रूप से शामिल किया, जिसकी सैन्य सेवा में महिलाओं की सोच में बड़ा बदलाव देखने को मिला।

सरकार के विशेष कार्यक्रम स्टैंड अप इंडिया में महिलाओं को भी विकास करने का मौका मिला है। 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक के स्टैंडअप इंडिया योजना के तहत 81% ऋण महिला को मिला है। इसी के साथ मुद्रा योजना के तहत भी 68% महिलाएं ऋण के स्वामित्व वाली खाताधारक हैं।

-गणतंत्र दिवस की परेड में पहली बार सीआरपीएफ की महिला और उससे आगे की महिला कैमल सवार भी शामिल हुईं।

– महात्मा गांधी नेशनल कनेक्शन रोजगार योजना यानी मनरेगा में भी 56.62% महिलाओं की भागीदारी है।

– ऐसे ऑफिस जहां 50 से ज्यादा कर्मचारी हों, ऐसे ऑफिसों में काम करने वाली महिलाओं के लिए अनिवार्य क्रेच की सुविधा का प्रावधान जिससे नौकरी करने वालों को परेशानी ना हो।

– महिलाओं की वर्क वर्क फोर्स पार्टनरशिप 2019-20 में 22.8% थी जो 2020-21 में बढ़कर 25.1% हो गई।

– महिलाओं के लिए ऑफिस में रात के स्विच में काम करने से भी राहत मिली है, क्योंकि अब पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ काम करने की अनुमति दी गई है।

– खेती हर महिलाओं को विवरण में उपलब्ध 731 कृषि विकास विवरण की मदद से कृषि और संबंधित क्षेत्रों में नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण मिलता है।

– सिविल एविएशन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी है। आंकड़ों के अनुसार देश में वैश्विक औसत से 10% अधिक कमर्शियल महिला पायलट है।

– सिविल एविएशन के अलावा डिफेंस के क्षेत्र में भी महिलाओं की भागीदारी है। भारतीय नौसेना से लेकर युद्ध के लिए तैयार स्क्वाड्रन में महिला पायलटों को शामिल किया गया है। स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल करने की शुरुआत।

– केंद्र सरकार महिलाओं को सुरक्षित माहौल देने के लिए पूरी तरह से स्कोर करती है। इसके तहत 733 वन स्टॉप सेंटर चिन्हित किए गए हैं जहां निजी, सार्वजनिक, परिवार, समुदाय या पर्यटन हिंसा से पीड़ित महिलाओं की सहायता की जाती है। इन अकेली पर 6.65 लाख से अधिक पीड़ित महिलाओं को अब तक सहायता मिल चुकी है। इसके अलावा देश के 13,101 पुलिस बच्चों में महिला सहायता डेस्क बनाया गया है।

– देश में महिलाओं के खिलाफ समझौते के लिए भी सरकार जुटी है। बलात्कार और पोस्को मामलों को फास्ट से सेटल करने के लिए ई-पोक्सो समेत 1023 फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों में मुकदमा दायर किया गया है। यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस भी बनाया जा रहा है। दिसंबर 2022 में 418 विशेष पोक्सो अदालतें से 1,37,000 मामले जड़ गए हैं। 2019 में पोस्को अधिनियम में संशोधन द्वारा बच्चों पर यौन अपराध करने के लिए मृत्युदंड तक का प्रावधान किया गया है। पोस्को नियम, 2020 में स्कूलों की देखभाल गृहों के कर्मचारियों की अनिवार्य पुलिस जांच सहित कई अन्य प्रावधान किए गए। इसके अलावा बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान है, जिसके लिए आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम 2018 पारित किया गया है।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक राष्ट्र, एक आपातकालीन नंबर 112 लॉन्च हुआ जो कि देश भर में चालू है। उसी समय उत्पीड़न की शिकायत करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी शुरू की गई।

महिलाओं के लिए जीवन में स्वच्छता और सृजनता के लिए देश भर में 11.60 करोड़ शौचालयों का निर्माण हुआ। इनका निर्माण स्वच्छ भारत मिशन के तहत हुआ। इसने महिलाओं का जीवन बदलकर गौरवपूर्ण बना दिया है। वहीं देश भर में आजादी के बाद से महिलाएं भी डराने में जुझने को मजबूर थीं। इससे निजात पाने से देश के 9.6 करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए गए। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के दस्तावेजों के अनुसार पारंपरिक ईंधन-काठ, कोयला आदि से खाना पकाने से भारत में 5 लाख लक्षित होते थे। लेकिन केंद्र सरकार का यह प्रयास है कि महिलाओं में सांस संबंधी बीमारी के मामलों में 20 प्रतिशत की कमी आई है।

कोरोना काल में दी आर्थिक सहायता – सरकार ने कोरोना काल में देश की 20.50 करोड़ महिलाओं के बैंक खातों में 31,000 करोड़ रुपये का संकेत दिए गए। इसके अलावा महिलाओं के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए नौ हजार से अधिक जन औषधि के माध्यम के माध्यम से निर्दिष्ट में मात्र 1 रुपये में सैनेटरी विकल्प खोजे जा रहे हैं।

केंद्र सरकार की दृष्टि योजना की शुरुआत के बाद वर्ष 2015 में ज़मीन और किसानों के मालिकों की संख्या में गिरावट आई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महिलाओं की आवाज और सामर्थ्य का प्रतिबिंब बना हुआ है। घर के प्रमुख डॉक्युमेंट में भी महिलाओं की भागीदारी है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 के अनुसार देश में अब 88.7% महिलाएँ अब प्रमुख घरेलू दस्तावेज़ में भागीदारी कर रही हैं, पाँच साल पहले यह भागीदारी 84% थी। वहीं लिंगानुपात की बात करें तो आंकड़े काफी हद तक अधिकार क्षेत्र से संबंधित हैं क्योंकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के अनुसार महिलाओं की संख्या पहली बार एक हजार पुरुषों के लिए 1020 पहुंचती है। सरकार ने दिसंबर, 2021 में बाल विवाह निषेध (संशोधन) अधिनियम, 6 दिसंबर को पेश कर लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल कर दी। देश की आम महिलाओं के अलावा अगर संसद की बात भी रखें तो यहां भी महिलाओं की भागीदारी मिलती है।

संसद में महिलाओं का नेतृत्व बढ़ा है। 2019 के आम चुनाव में पहली बार रिकॉर्ड 78 महिलाएं सांसद चुनी गई हैं तो पंचायती राज व्यवस्था में बड़ी भागीदारी की वजह से 46% महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। अगर मुस्लिम महिलाओं की बात करें तो सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए तीन तलाक खत्म किए। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम 2019 में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद लागू हुआ। इसे सितंबर 2018 से प्रभावी माना गया। कानून का उल्लंघन करने पर तीन साल के कारावास और जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

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