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राज्य में 2011 से 2014 के बीच हुए 1573 करोड़ के धान घोटाले की जांच में अब सूबे की निगाहों में 165 सीओ से पूछताछ होगी। इन तीन वर्षों की अवधि में ही मुजफ्फरपुर के 31 राज्यों सहित 203 धान मिलों पर घोटाले करने का आरोप है। पुलिस मुख्यालय की मांग पर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के संयुक्त सचिव कंचन कपूर ने सभी डीएम से संबंधित अधिसूचना की मांग की है। विभाग के संयुक्त सचिव ने सभी डीएम का कहना है कि पुलिस मुख्यालय को संबंधित मामले से संबंधित होने की जरूरत है। कई अंचलाधिकारी वरिष्ठ अधिकारियों में प्रोन्नत हो गए हैं।
इसलिए ही नहीं, इनमें से बड़ी संख्या में अंचलाधिकारी वर्ण भी हो जाते हैं। पुलिस को उनसे पूछताछ के लिए उनका घर तक जाना होगा। विशिष्ट पता उपलब्ध न होने के कारण पुलिस उस तक नहीं पहुंच पा रही है। सभी डीएम को उस समय अंचलाधिकारी के वर्तमान स्थान के साथ स्थायी पते की सूची एक सप्ताह में देने को कहा गया है, ताकि मामले की जांच आगे बढ़े जा सके।
सूबे की जांच के दायरे में 203 लाख
राज्य में चावल मिलों को अग्रिम रूप में एसएफसी से धान की आपूर्ति की गई थी। मिलों को चावल में धान की बात एसएफसी को वापस करनी थी, लेकिन करोड़ों का धान पहले लेने के बाद राइस मिल उसे पचा गए और चावल वापस नहीं किया। राज्य में ऐसी 203 मिलों पर स्थिति दर्ज की गई। इसमें मुजफ्फरपुर के 20 मिलियन शामिल हैं, जिनपर एक्शन चल रहा है।
मुजफ्फरपुर के इन मिलों में जयमाता राइस मिल, रायगंज फुड ग्रेन प्रोडक्ट्स, ऐरीना एग्रो इंडस्ट्रीज, वैशाली एग्रो रायस मिल, सरस्वती रायस मिल, लालजी रायस मिल शिवम रायस मिल, बसंत मिनी रायस मिल, भारद्वाज इंडस्ट्रीज, जेएन रायस मिल, दुर्गा रायस मिल, चंदन रायस मिल, श्रीराम कुटीर उद्योग, बालाजी फुड उत्पाद, विज्ञान एग्रोटेक, कामाख्या रायस मिल, पटियासा पैक्स रायस मिल, सरस्वती रायस मिल आदि के नाम शामिल हैं। इसके अलावा मुजफ्फरपुर के 11 मिलों पर सीधे कोर्ट में मामला चल रहा है। इन 11 मिलों का नाम भी सबसे पहले प्राथमिकी में दर्ज किया गया था। इन मिलरों द्वारा आंशिक रूप से भुगतान किए जाने पर यह मामला नीलामवाद के लिए न्यायाधिकरण में स्थानांतरित हो गया।
अपराध अनुसंधान विभाग कर रहा है जांच
पूरे मामले की जांच अपराध अनुसंधान विभाग के अपर मुख्य सचिव कर रहे हैं। उन्होंने जांच के क्रम में सीओ से संबंधित जानकारी नहीं मिलने के बाद राजस्व विभाग को पत्र लिखा है। उन्होंने विभाग से कहा है कि आंचलाधिकारियों का एक सप्ताह के अंदर वैध पता है, ताकि जल्द से जल्द पूरी तरह से जांच की जा सके। उन्होंने आशंका जताई है कि पूछताछ में देरी होने पर सबूत बयानना मुश्किल हो जाएगा और आरोपी मिलर स्पष्टीकरण निकल सकते हैं। उन्होंने यह भी आशंका जताई कि विलंब होने से संबंधित अंचलाधिकारी की जिम्मेवारी कठिन होगी।



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