गरियाबंदछत्तीसगढ़

Gariyabandh News : चिंगरा पगार की चट्टानों पर धरम और मनीषा ने उकेरी जंगल की जादुई दुनिया, शेर-अजगर-मगरमच्छ की मूर्तियों से पत्थरों में भरी जान—सब कुछ चट्टानों पर, हैरानी में डाल देंगी ये मूर्तियां

UNITED NEWS OF ASIA. रुपेश साहू, 
गरियाबंद |  छत्तीसगढ़ का गरियाबंद जिला अब केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं, बल्कि एक अनोखी कला के लिए भी सुर्खियों में है। अगर आप चिंगरा पगार के घने जंगलों, ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों और पहाड़ों की चट्टानों को पार करने का प्लान बना रहे हैं, तो तैयार हो जाइए एक ऐसे नजारे के लिए, जो आपकी आंखों को हैरान और दिल को सुकून देगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं छत्तीसगढ़ के सबसे खूबसूरत और मनमोहक वॉटरफॉल्स में से एक, चिंगरा पगार की, जो गरियाबंद से महज 8 किलोमीटर की दूरी पर बसा है। इस जगह को अब एक नया आकर्षण मिला है, जो इसे और भी खास बना रहा है।


यहां खैरागढ़ से आए कलाकार दंपति धरम नेताम और मनीषा नेताम ने अपनी अद्भुत कला से चट्टानों को जादुई रूप दे दिया है। इन विशाल चट्टानों पर अब आपको जंगल की दुनिया जीवंत होती दिखेगी। विशाल अजगर की लहराती आकृति, शेर की दहाड़ती मुद्रा, तेंदुए की फुर्तीली छवि, मछली की तैरती शैली, मगरमच्छ की डरावनी शक्ल, बिच्छू की जहरीली बनावट, गिरगिट की रंग बदलती छटा, घेंघा की रहस्यमयी उपस्थिति, जंगली भैंसे की ताकत, कछुए की शांति, केकड़े की चाल और न जाने कितने वन्य प्राणियों की आकृतियां इन पत्थरों पर उकेरी गई हैं। इन चट्टानों को देखकर ऐसा लगता है मानो प्रकृति और कला का अनोखा संगम हो गया हो। हर एक नक्काशी इतनी बारीक और जीवंत है कि इसे देखने वाला हर शख्स आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रह पाता।

यह कमाल का काम करने वाले धरम नेताम और मनीषा नेताम खैरागढ़ जिले के गंडई गांव से ताल्लुक रखते हैं। वन विभाग के सहयोग से यह दंपति चिंगरा पगार पहुंचा और यहां की प्राकृतिक संपदा को अपनी कला से संवारने का बीड़ा उठाया। दोनों ने खैरागढ़ में पत्थरों को मूर्त रूप देने का विशेष प्रशिक्षण लिया है और यह उनकी जिंदगी का एक अहम हिस्सा बन चुका है। ग्रैंड न्यूज़ की टीम से बात करते हुए इस जोड़े ने अपनी यात्रा के बारे में खुलकर बताया। उन्होंने कहा कि वे हाल ही में अहमदाबाद से लौटे हैं, जहां उन्होंने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया था। पिछले दो महीनों से वे चिंगरा पगार में दिन-रात मेहनत कर रहे थे ताकि इन चट्टानों को एक नया जीवन दिया जा सके। अब उनका काम पूरा हो चुका है और इसका नतीजा हर किसी के सामने है।

यह पहली बार नहीं है जब इस दंपति ने अपनी कला से लोगों को हैरान किया हो। इससे पहले वे देश के कोने-कोने में अपनी प्रतिभा का जलवा दिखा चुके हैं। गोवा के समुद्री तटों से लेकर दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों तक, हैदराबाद की हाई-टेक दुनिया से लेकर कर्नाटक की हरी-भरी वादियों तक, इस जोड़े ने हर जगह पत्थरों को बोलती तस्वीरों में ढाला है। चिंगरा पगार में उनकी यह कृति न सिर्फ पर्यटकों के लिए एक नया आकर्षण बन गई है, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी गर्व का विषय है।


वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की पहल से न केवल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को भी दुनिया के सामने लाया जा सकेगा। धरम और मनीषा का मानना है कि प्रकृति और कला का यह मेल लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने में भी मदद करेगा। तो अगर आप भी इस अनोखे अनुभव का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो देर न करें। चिंगरा पगार की सैर पर निकल पड़िए और देखिए कि कैसे पत्थरों पर उकेरी गई यह जादुई दुनिया आपका मन मोह लेती है। तैयार हो जाइए एक ऐसी यात्रा के लिए, जो आपके लिए यादगार बन जाएगी!

 


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