ऑपरेशन में 17 नक्सली मारे गए, जिनमें कई बड़े नाम शामिल हैं। मारे गए नक्सलियों में 90 लाख का इनामी सेंट्रल कमेटी मेंबर चलपती, 65 लाख के इनामी सत्यम गावड़े और जयराम उर्फ गुड्डू समेत अन्य हाई-प्रोफाइल नक्सली थे। मुठभेड़ के दौरान 12 शव बरामद किए गए हैं, जबकि बाकी की शिनाख्त जारी है।

एसपी निखिल राखेचा की रणनीति ने पलटा खेल
एसपी राखेचा, जो सुकमा और नारायणपुर जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में 24 महीने तक काम कर चुके हैं, ने ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले इलाके की भौगोलिक परिस्थितियों का गहन अध्ययन किया। उन्होंने ओडिशा पुलिस की मदद से नक्सलियों के भागने के सभी रास्ते सील किए। 19 जनवरी से शुरू हुए इस ऑपरेशन में जिला पुलिस बल, एसटीएफ, कोबरा 207 और सीआरपीएफ के 400 से अधिक जवानों ने हिस्सा लिया।

बरामदगी और निष्कर्ष
ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों ने एक एके-47 और 17 ऑटोमैटिक राइफल के साथ-साथ दो दर्जन से ज्यादा आईईडी को डिफ्यूज किया। नक्सलियों के ठिकानों से साहित्य, डायरी और पेन ड्राइव भी बरामद हुए हैं। माना जा रहा है कि कुछ घायल नक्सली अपने साथियों की मदद से बचकर भागने में सफल रहे।
आत्मसमर्पण की अपील
एसपी राखेचा ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ मिलेगा। घायल नक्सलियों को उपचार की सुविधा भी दी जाएगी। उन्होंने इसे नक्सल उन्मूलन की दिशा में बड़ी सफलता बताया और जवानों के योगदान की सराहना की।
नक्सली नेटवर्क पर बड़ा झटका
इस ऑपरेशन से नक्सल नेटवर्क को बड़ा झटका लगा है। पुलिस के अनुसार, चलपती और सत्यम गावड़े जैसे बड़े लीडरों के मारे जाने से नक्सलियों की स्थानीय और केंद्रीय संरचना कमजोर हुई है।

छत्तीसगढ़ में अब तक का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन
यह पहली बार है जब राज्य में किसी ऑपरेशन में सेंट्रल कमेटी मेंबर मारा गया हो। यह ऑपरेशन नक्सल विरोधी अभियान में मील का पत्थर साबित हुआ है।