
UNITED NEWS OF ASIA. दंतेवाड़ा |दंतेवाड़ा छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा जिले के गीदम में स्थित 30 बिस्तर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उन्नयन (अपग्रेडेशन) और ट्रॉमा सेंटर के लिए 4 करोड़ 90 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। इसमें 1.5 करोड़ रुपए तो सिर्फ ट्रॉमा सेंटर के नाम से खर्च हुए हैं।
फिर भी इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में वो सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, जो मॉडल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में होनी चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि 4 करोड़ 90 लाख रुपए में लगभग 200 से 250 बेड का नया अस्पताल बन जाता। अस्पताल का डेकोरेशन, बिजली, पानी और फर्नीचर का काम भी हो जाता। लेकिन, सिर्फ मेल-फीमेल 2 वार्ड के 30 बिस्तर के इस अस्पताल के उन्नयन के नाम पर लीपापोती कर पैसों का जबरदस्त खेल खेला गया है।
दरअसल, प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी तब साल 2022-23 में अस्पताल का उन्नयन किया गया है। इसके लिए DMF से 4 करोड़ 90 लाख रुपए स्वीकृत हुए थे। रायपुर के शौर्य इंटरप्राइजेज, देवपुरी के फर्म ने उन्नयन का काम लिया था।
काम की एजेंसी CMHO दंतेवाड़ा शाखा थी। शौर्य इंटरप्राइजेज ने काम कर बिल पुटअप किया, जिसका GST नंबर 22BNZPS1328C2ZW है। सारे पैसे निकाल लिए गए।
मॉड्यूलर और सेमी मॉड्यूलर OT के लिए खर्च हुए 1 करोड़ 10 लाख रुपए
- मॉड्यूलर OT – 55 लाख रुपए
- सेमी मॉड्यूलर OT- 25 लाख रुपए
- OT टेबल और OT लाइट- 30 लाख रुपए
ट्रॉमा सेंटर के लिए सबसे जरूरी OT (ऑपरेशन थियेटर) है। गीदम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ऑपरेशन थिएटर की भी मरम्मत की गई है। एस्टीमेट और कागजों में कुल 1 करोड़ 10 लाख रुपए में (ये अलग-अलग काम हैं।) बनाया गया है। जबकि अस्पताल परिसर में हमें एक ही ऑपरेशन थिएटर मिला। जिसे मॉड्यूलर ऑपरेशन थिएटर बताया गया है। पिछले 2 सालों में इसमें एक भी ऑपरेशन नहीं हुआ है।
डबलडोम लाइट और OT टेबल के लिए 30 लाख रुपए खर्च
यहां डबलडोम लाइट और साधारण OT टेबल के लिए 30 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। जबकि यहां नए OT टेबल के नाम पर पुराना OT टेबल लगा दिया गया है, जिसमें जंग लगा हुआ है। यहां जो OT टेबल लगाया गया है, उसकी मार्केट वेल्यू सिर्फ 6 से 7 हजार रुपए है।
जबकि स्टेंडर्ड क्वालिटी की फूल डबलडोम लाइट 50 हजार से 1 लाख रुपए तक आ जाती है। ऐसे में इन दोनों काम के लिए 30 लाख रुपए का बजट बनाया गया और बिल पुटअप कर पैसे निकाल लिए गए।
एस्टिमेट में पूरे अस्पताल परिसर में नई वायरिंग का भी काम है। लेकिन, अस्पताल में पहले से ही लगे इलेक्ट्रिक बोर्ड, इलेक्ट्रिक पाइप का इस्तेमाल किया गया है। पुराने वायर को जोड़कर उसे नया बताया गया। वहीं OT में बिजली के तार जले हुए हैं। वार्डों में भी पुराने सामान का इस्तेमाल कर पूरा पैसा निकाल लिया गया है।
55 लाख रुपए की ACP और साइन बोर्ड
अस्पताल परिसर की सिर्फ सामने की दीवार पर 49 लाख 45 हजार रुपए का ACP का काम हुआ है। घटिया क्वालिटी का वर्क किया गया है। जबकि 4 लाख 50 हजार रुपए का एक साइन बोर्ड बना है। जिसमें सिर्फ ‘सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और ट्रॉमा सेंटर, गीदम, जिला दंतेवाड़ा’ लिखा हुआ है। दोनों कामों की मार्केट वेल्यू अधिक से अधिक 5 से 6 लाख रुपए ही है।
इतने पैसे में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनकर तैयार हो जाता। अब अंदाजा लगाया जा सकता है कि अस्पताल के उन्नयन के लिए किस तरह से पैसों का खेल खेलकर भ्रष्टाचार किया गया है। ये काम पूर्व CMHO बी आर पुजारी के समय हुआ है।
वॉल आर्ट के लिए 5 लाख खर्च, लेकिन नहीं दिखा कहीं भी आर्ट
अस्पताल में वॉल आर्ट के लिए 5 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। ये किस तरफ का आर्ट है, किस दीवार पर किया गया है। फिलहाल हमें पूरे अस्पताल परिसर में एक भी आर्ट नजर नहीं आया। हां, जिस ऑपरेशन थियेटर को मॉड्यूलर ऑपरेशन थियेटर होने का दावा किया गया, जहां दंतेश्वरी माता की एक तस्वीर जरूर लगी हुई मिली। लेकिन वॉल आर्ट के नाम पर सिर्फ पैसे निकाल लिए गए।
बैक्टीरियल पेंट के नाम से निकाले 30 लाख रुपए
दावा किया गया है कि 30 बिस्तर वाले इस अस्पताल में बैक्टीरियल पेंट हुआ है। सिर्फ पेंट के लिए ही DMF की राशि का 30 लाख रुपए निकाल लिया गया है। पूरे अस्पताल परिसर में, यहां तक कि अस्पताल में लगी वॉल टाइल्स के ऊपर भी बैक्टीरियल पेंट के नाम पर सिर्फ सादा पेंट कर लीपापोती कर दिया गया है।
जंग खाए खिड़की दरवाजे, पंखा और सीलिंग टूटकर गिरी
अस्पताल में मेल-फीमेल वार्ड से लेकर OPD इलाके में 25 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर फॉल सीलिंग का काम किया गया है। कुछ महीने पहले सीलिंग टूट कर गिर चुकी है, वार्ड में अब भी हालत ऐसे हैं की दोबारा गिरने की संभावना है।
वहीं खिड़की दरवाजे जंग खाए हुए हैं। पंखा टूटकर नीचे गिर गया। वहीं फ्लोरिंग में पुराने पत्थर को ही निकालकर दोबारा उसी को लगाकर इसके भी पैसे निकाल लिए गए हैं।
PWD के SDO बोले- इतने में बन जाती नई बिल्डिंग
वहीं हमने बिल्डिंग के स्ट्रक्चर और काम को इंजीनियरिंग मेथड से समझने के लिए दंतेवाड़ा जिले के PWD के SDO से बातचीत की। उन्होंने कहा कि 4 करोड़ 90 लाख रुपए की राशि बहुत अधिक है। इतनी राशि में लगभग 3200 वर्ग मीटर में 200 से 250 बेड का अस्पताल बन जाएगा। इसमें ACP वर्क, फॉल सीलिंग, बिजली, पानी, फर्नीचर सब की व्यवस्था हो जाएगी।
करीब 50 डिसमिल में 2 मंजिला नई इमारत बन जाएगी। उन्होंने कहा कि किसी भी पुरानी बिल्डिंग में चाहे वह अस्पताल हो या अन्य कोई शासकीय कार्यालय उसमें 4 करोड़ 90 लाख रुपए मरम्मत काम के लिए बहुत अधिक है।
BMO बोले- मैं इसके बारे में कुछ नहीं बता पाऊंगा
अस्पताल के काम के संबंध में हमने गीदम BMO गौतम कुमार से बात की। उन्होंने कहा कि इस काम को लेकर मैं कुछ भी नहीं कहूंगा। कुछ नहीं बता पाऊंगा। आप CMHO कार्यालय से जानकारी ले लीजिए।
पूर्व CMHO बोले- मुझे याद नहीं
हमने दंतेवाड़ा जिले के पूर्व CMHO डॉ बीआर पुजारी से भी बातचीत की। वे वर्तमान में बीजापुर में पोस्टेड हैं। उन्होंने कहा कि कुछ काम मेरे कार्यकाल में हुआ कुछ पहले ही हो गया था। काम कितने का था, काम किसने किया, क्या काम किया मुझे याद नहीं। फाइल दंतेवाड़ा CMHO कार्यालय में है।
CMHO अजय रामटेके बोले- पहले का है काम
दंतेवाड़ा CMHO अजय रामटेके ने कहा कि, मेरी पोस्टिंग से पहले ही ये काम पूरा हो चुका था। साल 2022-23 में DMF फंड से पूरा काम हुआ है। रायपुर की एक फर्म ने काम किया है। काम का पूरा पैसा निकल चुका है। ट्रॉमा सेंटर के नाम से संचालित हो रहा है। काम कैसा हुआ है, उसे एक बार मैं देखकर ही बता सकता हूं।
सूत्र बोले- बड़े नेताओं का हाथ, इसलिए हम भी कुछ नहीं बोले
गीदम अस्पताल के कुछ सूत्रों का कहना है कि, हमें कहा गया था अस्पताल खाली करो, हमने खाली किया और MCH में शिफ्ट कर दिया था। वहीं हमें बताया ही नहीं गया था कि क्या काम होंगे? क्या मशीनें लाई जाएंगी। हमने भी हस्तक्षेप इसलिए नहीं किया क्योंकि इस काम के पीछे रायपुर के बड़े नेताओं का हाथ था। कलेक्ट्रेट कार्यालय और CMHO कार्यालय से ही हर काम की डील हो रही थी।
ट्रॉमा सेंटर में क्या होना चाहिए
दरअसल, ट्रॉमा सेंटर के लिए सबसे जरूरी सर्जन डॉक्टर होने चाहिए। लेकिन यहां नहीं हैं। हाईटेक OT, जिसमें सारी व्यवस्थाएं हों। एमआरआई, सीटी स्कैन, एक्स-रे, लैरींगोस्कोप, ऑपरेटिंग कमरे, मॉडर्न सर्जिकल उपकरण, डायग्नोस्टिक उपकरण, रेडियोलॉजी उपकरण, एनेस्थिसियोलॉजी उपकरण, ऑर्थोपेडिक सर्जरी उपकरण होने चाहिए।
ट्रॉमा यूनिट में गंभीर चोटों से पीड़ित मरीजों का इलाज किया जाता है। इन मरीजों को अक्सर कई तरह की आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की जरूरत होती है। ट्रॉमा यूनिट में मरीजों का इलाज करने के लिए विशेषज्ञ चिकित्सा और नर्सिंग देखभाल की सुविधाएं होनी चाहिए।
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