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देवेंद्र फडणवीस ने लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र भाजपा मिशन 2024 के लिए सीएम के रूप में नाम दिया

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महाराष्ट्र में अचानक देवेंद्र फडणवीस को बनाने की आवाज उठने लगी। यह आवाज कहीं और से नहीं, बल्कि बीजेपी की खेमे से उठ रही है। महाराष्ट्र में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने बीते दिनों कहा था कि मेरी ख्वाहिश है कि देवेंद्र फडणवीस मेरे कार्यकाल में ही नंबर बनेंगे। श्रद्धालुओं कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री हैं। शिंदे गुट ने यहां पर बीजेपी से बगावत की थी, इसके बाद बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई। उस दौरान फडणवीस को डिप्टी सीएम बनाया गया था। हालांकि अंदर खाने को लेकर तब भी सवाल उठे थे, लेकिन अब यह आवाजें ज्यादा मुखर अंदाज में सामने आ रही हैं। अब सवाल उठ रहा है कि अचानक फडणवीस को सीएम बनाने की यह मांग मात्र संयोग है या कोई प्रयोग है?

फिर दोहराएंगे ‘दिल्ली में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र’
जोतब है कि 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी ने नारा दिया था, ‘दिल्ली में नरेंद्र, महाराष्ट्र में देवेंद्र।’ तब यह नार प्रदेश के स्कोरिंग के बीच काफी हिट हुआ था। अब जबकि 2024 की लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी रणनीति बनाने में जुट गई है तो महाराष्ट्र में वह फिर से अपने पुराने फॉर्मूले से दध की तैयारी में नजर आ रही है। पिछले हफ्ते एक कार्यक्रम में खुद फडणवीस ने यह भी कहा था कि वह महाराष्ट्र में लंबी पारी खेलना चाहते हैं। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीजेपी के एक कार्यकर्ता ने कहा कि अपनी इस बात से फडणवीस ने संगठन के साथ-साथ पार्टियों को भी एक बड़ा संदेश भेजा है। इसी के साथ उन अनुमानों पर भी विराम लग गया है, जिसके तहत फडणवीस को दिल्ली भेजा गया की बातें जा रही थीं।

तब फडणवीस ने दम दिखाया था
अत्याचारी है कि बीजेपी ने 2013 में फडणवीस को महाराष्ट्र बीजेपी का अध्यक्ष बनाया था। यह नियुक्ति प्रदेश में 2014 में होने वाली विधानसभा चुनावों के संदर्भ में की गई थी। भाजपा का सुफल भी मिला था, जबकि 288 निर्दलीय इस विधानसभा में भाजपा ने अकेले दम पर 133 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में बीजेपी और बीजेपी साथ थे, हालांकि बाद में सीट शेयरिंग फॉर्मूले को लेकर दोनों पार्टियों में दावेदारी हो गई थी। बीजेपी के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे शानदार प्रदर्शन किया था और पीएम मोदी ने फडणवीस को सीएम फेस डिक्लेयर कर दिया था। बाद में बीजेपी वापस भाजपा के पास लौट आई थी और सरकार बनी हुई थी। जिसमें 2019 तक फडणवीस सीएम रहे।

बावनकुले की रणनीति रणनीति कदम
वहीं, बावनाकुले का चमकीलापन प्रदेश की राजनीति में एक रणनीतिक कदम के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार महाराष्ट्र की पार्टी इकाई का फडणवीस से बहुत गहरा नाता है। यहां तक ​​कि फडणवीस के आलोचक भले ही उनकी राजनीति को पसंद न करते हों, लेकिन उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं करते जैसा व्यवहार करते हैं। अब जबकि 2024 में चुनावों को लेकर पार्टी मिशन मोड में है, फडणवीस का नाम टॉप पोस्ट के लिए टॉसकर पार्टी अपने कैडर के बीच झुकना चाहती है। यहां तक ​​​​कि सामान्य रूप से भाजपा में भी लोग केंद्रीय नेतृत्व के इस फैसले को स्वीकार नहीं कर पाए हैं, जिसके तहत फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया था। इन अंकों के मुताबिक अगर फडणवीस सीएम बनते हैं तो यह भाजपा और महाराष्ट्र दोनों के लिए बेहतर होता है।

यह भी मकसद अधूरा रह गया
वहीं, महाराष्ट्र बीजेपी के नेता और शिंदे गुट के बीच दूरियों की कुछ और भी वजहें हैं। असल में जब बीजेपी ने यहां पर ऑपरेशन कम किया तो उम्मीद थी कि बड़ी संख्या में शिवसैनिक उसके साथ जुड़ेंगे। उन्हें लगता है कि चूंकि शिवसैनिक भाजपा के हिंदुत्ववादी धारणा के ज्यादा करीब हैं, इसलिए वह उड़ान का साथ छोड़ शिंदे का दामन थाम लेंगे। हालांकि खबर में ऐसा कुछ नहीं हुआ। यह भी एक बड़ी वजह है कि अब बीजेपी के कई नेताओं के लिए शिंदे को सीएम के तौर पर स्वीकार करना मुश्किल हो रहा है। हालांकि अभी भी कई नाम हैं, जो शिंदे-फडणवीस सरकार के आधार को पूरी तरह से मजबूत बता रहे हैं।

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