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कैल्शियम रक्त के साथ शरीर में जाने वाला खनिज है। जब रक्त में तय मात्रा से अधिक कैल्शियम होता है, तो डॉक्टर इसे हाइपरलक्सेमिया (hypercalcemia) कहते हैं। अधिक कैल्शियम होना शरीर के लिए अच्छा नहीं है। यह बात भी सही है कि कैल्शियम हड्डियों को हम देखने के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य भी प्रदान करते हैं। शरीर में कैल्शियम की कमी होने से हड्डियों में कमजोरी आ सकती है, ऑस्टियोपोरिसिस का खतरा भी बढ़ जाता है। यदि ऐसा हुआ तो फ्रेक्चर का खतरा बढ़ जाएगा। शरीर के लिए कैल्शियम जरूरी है, उसी तरह शरीर में अधिक होना भी नुकसानदायक है। हाइपरलक्सेमिया (hypercalcemia) कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ।
शरीर में अधिक कैल्शियम या हाइपरलक्सेमिया (hypercalcemia) की शिकायत होने पर आपको कब्ज, उल्टी, बेचैनी, मतली, मांसपेशियों में कमजोरी, बार-बार पानी के पत्ते लगना, अधिक थकान महसूस हो सकती है। इसके अलावा अधिक कैल्शियम खराब कर सकता है।
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क्या कहते हैं जानकार
हेल्थ केयर अस्पताल के डायरेक्टर और फिजिशियन डॉक्टर इमाटियाज अहमद कहते हैं कि कैल्शियम ब्रेन से दूसरे बॉडी पार्ट्स के बीच बेहतर बनाने में मदद करता है। शरीर में 99 प्रतिशत कैल्शियम दांत और हड्डियों में पाया जाता है। बचाए गए एक साल में खून, मांसपेशियों के साथ अन्य टिश्यूज में पाया गया है। विषाक्त कैल्शियम आपके आहार में पाया जाता है। जबकि कैल्शियम की कमी होने पर कुछ लोग इसकी जानकारी भी लेते हैं।
पहचानिए कैल्शियम ज्यादा होने के लक्षण
शरीर में अधिक कैल्शियम की समस्या धीरे-धीरे विकसित होती है। अचानक से यह समस्या नहीं होती। आमूमन यह समस्या 45 साल से अधिक लोगों में देखी जाती है। मेयोक्लिनिक की रिपोर्ट के अनुसार बॉडी में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने पर कब्ज की समस्या, पेट दर्द, भूख की कमी, सिर दर्द, तनाव, थकान, कमजोरी महसूस होना, तरल पदार्थ पीने से बार-बार पेशाब आना, मांसपेशियों में खिंचाव, भ्रम , याद्दाश्त में गड़बड़ी की समस्या हो सकती है।
इसके अलावा कुछ गंभीर जीवाणु भी हो सकते हैं, जैसे दौरे पड़ना, होश खो देना, दिल का तेज होना, हार्ट अटैक और बेहोशी। यह समस्या के अधिक होने में हो सकता है। किसी को ऐसे गंभीर लक्षण हैं, तो डॉक्टर से परामर्श लेकर इलाज शुरू करें कहीं आपको जाना चाहिए।
एक व्यक्ति को कितनी मात्रा में कैल्शियम की आवश्यकता होती है
जन्म के बाद 6 माह तक – 200 मिलीग्राम
7 माह से 12 माह – 260 मिलीग्राम
1 साल से 3 साल- 700 मिलीग्राम
4 से 8 साल- 1000 मिलीग्राम
9 से 18 साल – 1300 मिलीग्राम
19 से 50 साल- 1000 मिलीग्राम
51 से 70 साल – 1000 मिलीग्राम पुरुष और 1200 मिलीग्राम महिला के लिए
71 या उससे ज्यादा के लिए -1200 मिलीग्राम
यहां अतिलक्सेमिया के स्वास्थ्य जोखिम (Hypercalcemia के दुष्प्रभाव)
1 पाचन तंत्र फेल हो सकता है
डॉ इमत्याज अहमद कहते हैं कि डाइट में किसी प्रकार की कमी नहीं है, फिर भी मतली, पेट खराब, कब्ज, उल्टी जैसी परेशानी रहती है तो आपके शरीर में कैल्शियम अधिक होने के संकेत हैं।
2 दिमाग प्रभावित हो सकता है
हाइपरलक्सेमिया की समस्या दिमाग पर अपना नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने पर आपके दिमाग में थकान, तनाव, भ्रम, सुस्ती जैसी परेशानी हो सकती है।
3 किडनी खराब हो सकती है
डॉक्टर अहमद कहते हैं कि रक्त में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने पर किडनी खराब हो सकती है। सही मायने में किडनी ही फिल्टर करने में मदद करती हैं। किडनी खराब होने पर बार-बार पेय और पेशाब में कमी हो सकती है।
4 कमजोरी भी हो सकती है
कैल्शियम की अधिक मात्रा होने पर हड्डियों में दर्द बढ़ जाता है। थकान और कमजोरी होने पर इसकी शिकायत हो सकती है। हाइपरलक्सेमिया हड्डियों को जकड़ लेता है। इससे मांसपेशियों और हड्डियों में दर्द होता है।

इस समस्या से बचाव के उपाय क्या हो सकते हैं
डॉ अहमद के अनुसार शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक होने पर विटामिन डी, हाई कैल्शियम जैसे रिच फूड्स का सेवन कम करना चाहिए। दूध, दही, पनीर, बीज, टोफू, हरे आदि का सेवन कम करना चाहिए। इस पर ध्यान देने पर आपको राहत मिल सकती है। समस्या अधिक है तो किसी डॉक्टर से सलाह लेना सही रहेगा।
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