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त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनाव में बीजेपी समेत कई पार्टियों को फायदा हुआ है। त्रिपुरा में तो भाजपा की दम पर फिर सरकार बन गई, जबकि नागालैंड में वह एंडी पीपी के साथ सत्ता में आएगी। इसके अलावा मेघालय में भी एनपीपी संगण वह सरकार बना रहा है। इस तरह भारत में भी उनके अच्छे दिन जारी होते हैं। लेकिन कांग्रेस की गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही बल्कि बढ़ती ही जा रही है। इन तीन राज्यों के चुनावों में जीत हासिल करने के लिए वह हज 8 पर ही सिमट गया है। ये भी नागालैंड में तो उनकी एक भी सीट नहीं आई है। इसके अलावा त्रिपुरा में 3 और मेघालय में 5 सीटें ही प्राप्त हुई हैं।
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किसी भी राज्य में वह सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा भी नहीं बन रहा है। राहुल गांधी की 5 महीने की भारत जोड़ो यात्रा के बाद भी ऐसी स्थिति बनने के लिए गंभीर है। कांग्रेस के 2018 में इन तीन राज्यों में कुल मिलाकर 21 सीटें थीं, जो अकेले मेघालय से थीं। यहां कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है और उनके ही 5 विधायक रह गए हैं। इसकी वजह यह है कि राज्य के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार के सदस्य मुकुल मेघा ने पार्टी छोड़ दी है। हालांकि त्रिपुरा में कांग्रेस का खाता खोलने में सफल रहा है, जहां 2018 में उसकी पूरी तरह से सफाई हो गई थी।
2013 में कांग्रेस ने देखा था 47 सीट्स, अब 8 पर अटकी
तीन राज्यों को मिलाकर कांग्रेस की 2018 में 21 सीटें थीं। वहीं 10 साल पहले यानि 2013 की बात करें तो कांग्रेस के इन तीनों राज्यों में 47 सीट्स थे। इनमें से भी सबसे ज्यादा सीट उनके पास मेघालय में थे और 29 सरोकार के साथ वह सत्ता में थे। उसी समय सीपीएम को भले ही सत्ता मिल गई थी, लेकिन कांग्रेस की भी 10 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल थीं। नागालैंड में तो कांग्रेस इस बार भी जीरो है और 2018 में भी शून्य पर ही थी। हालांकि 2013 में उसके पास यहां 8 साइटें थीं। स्पष्ट है कि पिछले 10 वर्षों से उन्हें लगातार घाटा हो रहा है।
भूत के अन्य राज्यों में भी कांग्रेस का बुरा हाल, भाजपा की बढ़त
यही नहीं कांग्रेस की यह स्थिति असम, अरुणाचल और मणिपुर जैसे राज्यों में भी है। इन तीनों राज्यों में भी अब बीजेपी सरकार है। कांग्रेस के लिए यह खतरनाक हैं। एक तरफ जहां उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार जैसे बड़े राज्य वजूद के लिए जूझ रहे हैं तो वहीं छोटे राज्यों में भी अब उनके आगे अस्तित्व का संकट पैदा हो गया है। वहीं बीजेपी ने ओडिशा, बंगाल और केरल से लेकर भूतों तक में अपना छाप छोड़ दिया है, जहां कभी उसका ठिकाना नहीं था। लेकिन पिछले 10 सालों में भाजपा ने इन क्षेत्रों में तेजी से अपना विस्तार किया है।



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